झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में बगावत, सहयोगी कांग्रेस के 9 विधायक विक्षुब्ध; दिल्ली दरबार में की शिकायत
Jharkhand Political Updates. बताया जा रहा है कि विक्षुब्ध खेमे में नौ विधायक हैं जो हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने कमान संभाली है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Thu, 30 Jul 2020 02:54 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Political Updates झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की सहयोगी कांग्रेस में बगावत का स्वर तेज हो गया है। यह घमासान दिल्ली तक पहुंच गया है। राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने इसकी कमान संभाली है। कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और उमाशंकर अकेला के साथ धीरज साहू झारखंड की हेमंत सरकार की शिकायतों का पिटारा लेकर दिल्ली पहुंचे हैं।
बताया जा रहा है कि विक्षुब्ध खेमे में नौ विधायक हैं, जो हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। तीनों विधायक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और गुलाब नबी आजाद से मुलाकात कर झारखंड लौटे हैं। हालांकि दिल्ली जाने वाले विधायकों ने चुप्पी साध रखी है। विधायकों ने आलाकमान से गुहार लगाई है। कहा है कि सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती है। कांग्रेस के विधायकों के साथ रवैया ठीक नहीं रहता है। सरकार में मंत्री का एक पद खाली है।
झारखंड में हेमंत सरकार की सहयोगी कांग्रेस के विधायकों की महत्वाकांक्षा चरम पर है। इसे लेकर भितरखाने मुहिम तेज हो गई है। जानकारी के मुताबिक राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने फिलहाल सरकार पर दबाव बढ़ाने के मुहिम की कमान संभाली है। उनके नेतृत्व में जामताड़ा के विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी, बरही के विधायक उमाशंकर अकेला और खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने दिल्ली में सरकार के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा पेश किया।
बताया जाता है कि नई दिल्ली में इनकी मुलाकात सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और पूर्व केंद्रीयमंत्री गुलाम नबी आजाद से हुई। इन विधायकों ने आलाकमान को आगाह किया कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो सरकार अस्थिर हो सकती है। दिल्ली गए विधायकों को फिलहाल शांत रहने की नसीहत दी गई है। इस खेमे को नौ विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर इनकी मांग पर विचार नहीं हुआ तो ये दलबदल तक कर सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने हाल ही में यह खुलासा किया था कि भाजपा सरकार गिराने के लिए पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दे रही है।
क्या चाहते हैं विधायकविधायकों ने गुहार लगाई है कि सरकार में उनकी सुनी नहीं जाती। आरोप लगाया जाता है कि वे अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग मनमुताबिक कराने का दबाव बनाते हैं। इसे विधायक गलत नहीं मानते। क्षेत्र में मनपसंद अधिकारियों की तैनाती इनका बड़ा एजेंडा है। इसके अलावा खाली पड़े मंत्री के एक पद को जल्द से जल्द भरने की मांग उठाई गई है। कांग्रेस खाली पड़े मंत्री के पद पर दावेदारी करे और वरिष्ठ विधायकों में से एक को मंत्री बनाया जाए। जो विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाए, उन्हें बोर्ड और निगमों में एडजस्ट किया जाए। इन विधायकों ने आलाकमान को जानकारी दी है कि उनकी मांगों की अनदेखी करने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके समूह के पास बेहतर आफर है।
अच्छा यही होगा कि सरकार को चलाने में सबका सहयोग लिया जाए। कांग्रेस हेमंत सोरेन सरकार में सहयोगी अवश्य है, लेकिन उसे तवज्जो नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत लागू करने की भी मांग उठाई गई। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव राज्य सरकार में वित्तमंत्री भी है। उन्हें एक पद से मुक्त करने की मांग अरसे से उठ रही है।
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