झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौ सीटों में देवघर जमुआ चंदनक्यारी सिमरिया चतरा छतरपुर लातेहार कांके और जुगसलाई है। इन आरक्षित सीटों में से भाजपा ने छह पर जीत दर्ज की थी। भाजपा आलाकमान ने बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद रिक्त हुए नेता विधायक दल के पद पर अमर बाउरी को बिठाकर एक साथ कई संदेश दिए हैं।
By Pradeep singhEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 16 Oct 2023 02:26 AM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची।
भाजपा आलाकमान ने बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद रिक्त हुए नेता विधायक दल के पद पर अमर बाउरी को बिठाकर एक साथ कई संदेश दिए हैं। यह भी स्पष्ट है कि क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा से मुकाबले के लिए पार्टी का फोकस बड़े जातीय समूहों को साधने पर है। वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के हिस्से में 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों में से महज दो सीटें आई थी, लेकिन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित नौ सीटों में से छह सीटों पर भाजपा ने कामयाबी के झंडे गाड़े थे।
भाजपा ने 6 पर दर्ज की थी जीत
झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौ सीटों में देवघर, जमुआ, चंदनक्यारी, सिमरिया, चतरा, छतरपुर, लातेहार, कांके और जुगसलाई है। इन आरक्षित सीटों में से भाजपा ने छह पर जीत दर्ज की थी। देवघर, जमुआ, चंदनक्यारी, सिमरिया, छतरपुर और कांके पर भाजपा के प्रत्याशी जीते, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लातेहार और जुगसलाई सीट पर कब्जा किया। राजद के हिस्से में चतरा सीट आई।
इससे स्पष्ट है कि सत्ता पाने की दौड़ में पिछड़ गई भाजपा को उस चुनाव में अनुसूचित जाति के मतदाताओं ने हाथोंहाथ लिया था।
दलितों को गोलबंद करने की कोशिश
अमर बाउरी को आगे कर भाजपा इन आरक्षित सीटों के साथ-साथ पूरे राज्य में दलितों को गोलबंद करने की कोशिश करेगी। अमर बाउरी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी स्वाभाविक तौर पर मिल जाएगा, जबकि बाबूलाल मरांडी को विधानसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष मान्यता मिलने में तकनीकी अड़चनें थीं।
दूसरी हाल ही में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए बाबूवाल मरांडी भी हेमंत सोरेन की तरह ही संताल आदिवासी समुदाय से हैं।
उन्हे आगे करने के पीछे का उद्देश्य आदिवासी सुरक्षित सीटों पर फिर से भाजपा की वापसी करना है। वे इसके लिए जोर-आजमाइश भी कर रहे हैं।
कुड़मी नेतृत्व को भी किया आगे
भाजपा विधायक दल के नेता की घोषणा के साथ ही विधानसभा में विधायक दल के सचेतक पद के लिए मांडू के विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को सचेतक बनाने का एलान करने के भी मायने हैं।
जयप्रकाश पटेल राज्य के प्रभावी कुड़मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे भाजपा विधायक दल के नेता पद की होड़ में आगे चल रहे थे। बताया जाता है कि विधायकों की तरफ से इस संबंध में अपेक्षित समर्थन नहीं मिलने के कारण आलाकमान ने अंतिम समय में मन बदल लिया था।
झारखंड विकास मोर्चा
झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहे जयप्रकाश भाई पटेल के पिता टेकलाल महतो की कुड़मी समुदाय पर काफी पकड़ थी। उन्हें सचेतक बनाकर भाजपा ने इस समुदाय को आकर्षित करने की कोशिश की है।
प्रमुख पदों पर अन्य दलों से आए नेता
यह भी संयोग है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राजनीतिक सफर इसी पार्टी से आरंभ किया, लेकिन 14 वर्ष तक अलग रहकर अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का संचालन किया।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने अपने दल का भाजपा में विलय कर दिया। अमर बाउरी ने पहला चुनाव वर्ष 2014 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर जीता।
जीत हासिल करने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के नए सचेतक जयप्रकाश भाई पटेल ने भी राजनीतिक सफर झारखंड मुक्ति मोर्चा से आरंभ किया। हेमंत सोरेन जब पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने तो वे उनकी कैबिनेट में वे शामिल थे। वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा।
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