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झारखंड की सियासत में महाभारत जैसा 'धर्मसंकट', चुनावी मैदान में एक-दूसरे के सामने होंगे ये कद्दावर परिवार

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस सियासी महासमर में कई दिग्गज परिवार ऐसे हैं जिनके सदस्य अपनों के ही खिलाफ चुनाव प्रचार करते दिख सकते हैं। शिबू परिवार के अलावा कुछ अन्य परिवारों में भी ऐसी ही स्थिति होने वाली है। कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को खूंटी से टिकट दिया है। ऐसे में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के लिए धर्मसंकट होगा।

By Neeraj Ambastha Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 28 Mar 2024 06:40 PM (IST)
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बड़ा धर्मसंकट, पहले पार्टी या परिवार। (फाइल फोटो)
नीरज अम्बष्ठ, रांची। सियासी महासमर में ऐसे भी नेता हैं, जिनके समक्ष चुनाव में धर्मसंकट की स्थिति होगी। इनके अपने सगे-संबंधी ही दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे नेता की पहली प्राथमिकता अपनी पार्टी होगी या फिर परिवार, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। शिबू परिवार के अलावा कुछ अन्य परिवारों में ऐसी स्थिति होगी।

कांग्रेस से कालीचरण मुंडा को इस बार भी खूंटी से टिकट मिला है। ऐसे में भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के लिए धर्मसंकट होगा। नीलकंठ न केवल अपने भाई के ही विरोध में चुनाव-प्रचार करेंगे बल्कि खूंटी से विधायक होने के नाते भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को बढ़त दिलाने की भी उनके समक्ष चुनौती होगी।

नीलकंठ पर भी रहेंगी सभी की नजरें 

नीलकंठ पर सभी की नजरें भी रहेंगी कि भाजपा प्रत्याशी की जीत में वे किस तरह की भूमिका निभाते हैं। हालांकि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक सदस्य की चुटकी पर नीलकंठ स्पष्ट कर चुके हैं कि पहले उनकी पार्टी है और कोई बाद में।

कालीचरण मुंडा कांग्रेस के टिकट पर ही लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में होंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में इन्होंने भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी। बहुत ही कम मतों से कालीचरण की हार हुई थी। इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कालीचरण चुनाव मैदान में थे। उस समय ये तीसरे स्थान पर रहे थे।

कहीं ससुर तो कहीं दामाद ठोकेंगे चुनावी ताल 

ससुर-दामाद के रूप में क्रमशः मथुरा महतो और जेपी पटेल भिन्न सीटों पर चुनाव मैदान में होंगे। ससुर मथुरा महतो का जहां झामुमो के टिकट पर गिरिडीह से चुनाव लड़ना तय है वहीं, उनके दामाद जेपी पटेल को कांग्रेस से हजारीबाग सीट के लिए टिकट मिल चुका है।

हालांकि एक ही खेमे में होने के कारण दोनों के समक्ष धर्म संकट की ऐसी स्थिति नहीं होगी। आइएनडीआइ गठबंधन के तहत दोनों एक-दूसरे को जिताने के लिए पूरा जोर लगाएंगे।

बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ रहे थे। मथुरा महतो जहां झामुमो के टिकट पर टूंडी से चुनाव मैदान में थे, वहीं जेपी पटेल भाजपा में सम्मिलित होकर मांडू से चुनाव लड़ रहे थे।

दोनों को जीत भी मिली थी। इस बार दोनों अलग-अलग सीट से लोकसभा चुनाव में होंगे। पटेल को कांग्रेस ने हजारीबाग संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि मथुरा प्रसाद महतो की उम्मीदवारी की घोषणा नहीं हुई है।

कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों का रहा है भाजपा से संबंध

कांग्रेस ने भी जिन तीन प्रत्याशियों की घोषणा की है, उनमें तीनों का किसी न किसी रूप से भाजपा से संबंध रहा है। कालीचरण मुंडा जहां भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के अपने भाई हैं।

वहीं, सुखदेव भगत और जेपी पटेल भी क्रमश: कांग्रेस और झामुमो को छोड़कर भाजपा में रह चुके हैं। सुखदेव भगत ने अपनी पार्टी में वापसी की तो जेपी पटेल ने इस बार कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कांग्रेस ने दोनों नेताओं को क्रमश: लोहरदगा और हजारीबाग से अपना उम्मीदवार बनाया है।

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