...तो क्या झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आने वाला है?
Jharkhand Politics यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ता है तो संभव है पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन सरकार की बागडोर संभालें। इससे गठबंधन सरकार तो बची रह सकती है लेकिन कांग्रेसी विधायकों की बेचैनी उससे आगे की है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 29 Jul 2022 11:50 AM (IST)
रांची, प्रदीप शुक्ला। Jharkhand Politics आप सचिवालय चले जाइए.. शह में किसी पनवाड़ी की दुकान पर खड़े हो जाइए या किसी चाय के खोखे पर बैठ जाइए, हर जगह एक ही सवाल, एक ही जिज्ञासा, राजनीति की हांडी में क्या पक रहा है? हर कोई राजनीतिक पंडित बना हुआ है। जितने मुंह, उतनी बातें, लेकिन एक बात पर लगभग हर कोई सहमत दिखता है। अब इस गठबंधन सरकार के गिने-चुने दिन शेष रह गए हैं। सावन गुजर जाए तो मानो शिव की कृपा होगी। तो क्या झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आने वाला है?
कांग्रेसी विधायकों को लेकर तमाम चर्चाएं गर्म : राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के नौ विधायकों (जिनमें एक मंत्री भी शामिल हैं) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुमरु के पक्ष में क्रास वोटिंग के बाद इस चर्चा को हवा मिली है। कांग्रेसी विधायकों को लेकर तमाम चर्चाएं गर्म हैं। वह एक साथ मंच पर आ भी नहीं रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस बेबस नजर आ रही है। इस बीच गठबंधन सरकार की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने यह कहकर चौंकाने का प्रयास किया है कि भाजपा के 17 से ज्यादा विधायक उनके संपर्क में हैं। हालांकि यह दावा राजनीतिक दल तो दूर, आम लोगों के भी गले उतर नहीं रहा है।
ईडी पर हमलावर दिखने वाला झामुमो अब शांत : पिछले तीन महीने से ईडी की चल रही कार्रवाई के बाद से राज्य की सरकार को लेकर कयासों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र की गिरफ्तारी के बाद अब उनके सबसे निकट सहयोगी और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ पिंटू को भी ईडी ने पूछताछ के लिए तलब कर लिया है। पंकज और उनके करीबी तमाम कारोबारियों की कई करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। कुछ दिन पहले तक ईडी पर हमलावर दिखने वाला झामुमो अब लगभग शांत है।
वैसे कई राज्यों में नेताओं और उनके करीबियों के पास से बरामद की जा रही भारी नकदी व संपत्ति से इस एजेंसी को प्रशंसा ही मिल रही है। जनता में थोड़ी आस जगी है कि गैरकानूनी ढंग से जनता के हक पर डाका डालने और प्राकृतिक संसाधनों को लूटने वालों को सही जगह जेल में पहुंचाने का इंतजाम हो रहा है। झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे से कैबिनेट मंत्री आलमगीर के खिलाफ भी ईडी ने एक टेंडर में गड़बड़ी को लेकर मुकदमा दायर किया है।
आदिवासी विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में दिया था वोट : चौतरफा संकट में घिरे कांग्रेस-झामुमो को फिलहाल यह सूझ नहीं रहा है कि मौजूदा परिस्थितियों से बाहर कैसे निकला जाए। क्रास वोटिंग करने वाले कांग्रेसी विधायकों के बाबत प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को दे दी है। छन-छनकर बाहर आ रही खबरों के मुताबिक पार्टी की पांचों महिला विधायकों और चार आदिवासी विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट दिया है। सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में हुए सत्याग्रह में भी 12 विधायक गायब रहे। राजेश ठाकुर का कहना है कि केवल रांची और उसके आसपास के विधायकों को ही सत्याग्रह में बुलाया गया था, लेकिन यह पूरा सच नहीं है।
कांग्रेस के ही एक धड़े का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष का अब पार्टी विधायकों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। केंद्रीय नेतृत्व भी चुप है। हां, हर बार की तरह प्रदेश संगठन प्रभारी अविनाश पांडेय फिर भागे-भागे रांची पहुंच गए हैं। वह विधायकों के साथ बैठकें करेंगे। विधायक उन्हें भी बहुत भाव नहीं दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे वह सभी केवल सही मौके का इंतजार कर रहे हों।झामुमो मानसिक रूप से तैयार : दूसरी ओर भाजपा बदलते घटनाक्रम पर नजर जमाए हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी की दिल्ली दौड़ बढ़ गई है। इससे इन चर्चाओं को बल मिल रहा है कि बहुत जल्द कुछ घटित होने वाला है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा उनके छोटे भाई बसंत सोरेन खनन पट्टा आवंटन सहित कई मामलों में फंसते दिख रहे हैं। राष्ट्रीय चुनाव आयोग के साथ-साथ हाइ कोर्ट में इन मामलों पर सुनवाई चल रही है। यदि उनकी सदस्यता रद होती है या मनी लांडिंग मामले में सीबीआइ जांच के आदेश दे देती है तो सरकार पर मुसीबत आना तय है। ऐसी परिस्थिति के लिए झामुमो मानसिक रूप से लगभग तैयार भी है। [स्थानीय संपादक, झारखंड]
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