झारखंड में सियासी उथलपुथल तेज, साथ देने वाले बना रहे हेमंत सरकार से दूरी; NCP विधायक के बाद सरयू राय ने मोड़ा मुंह
लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही झारखंड में सियासी उथल-पुथल तेज हो गई है। प्रदेश की हेमंत सरकार की प्रशंसा करने वाले सरयू राय आज उनके ऊपर ही हमलावर हैं और ईडी के बहाने घेर रहे हैं। उधर एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने पार्टी से समर्थन वापस लेकर हेमंत सोरेन को तगड़ा झटका दिया है। अब ऐसे में कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। इसे झारखंड की राजनीति में बदलाव की आहट कहिए या आने वाले दिनों में होने वाले राजनीतिक उथल-पुथल का अहसास, कभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रशंसा करने और उनमें दमखम के साथ-साथ राज्य को आगे ले जाने की क्षमता देखने वाले कुछ राजनीतिक साथी अब उनसे छिटकने लगे हैं।
एक कदम आगे बढ़कर वे यहां तक कह रहे है कि सरकार का जल्द ही पतन हो जाएगा। पिछले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम रघुवर दास को हराने वाले सरयू राय कभी हेमंत सोरेन की प्रशंसा करते थे। हेमंत सोरेन ने उन्हें विधानसभा चुनाव में समर्थन दिया था तो वे भी उनके पक्ष में प्रचार करने दुमका पहुंच गए थे।
हेमंत सोरेन को लेकर सरयू राय ने कह दी बड़ी बात
अब हेमंत सोरेन को लेकर उनका आकलन है कि वे संकट में हैं और सरकार मुश्किल से यह साल पूरा कर पाएगी। भ्रष्टाचार की आड़ में उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है। यहां तक कह डाला है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उन्होंने ऐसी कई शिकायतों से संबंधी साक्ष्य उपलब्ध कराए, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय वे अनदेखी कर रहे हैं।
जिस मुख्यमंत्री के पास भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करने का समय नहीं है, उसे पद पर नहीं रहना चाहिए। यही नहीं, हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को लेकर उठाए जाने वाले राजनीतिक सवालों को भी उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया है।
एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने भी छोड़ा साथ
हुसैनाबाद के एनसीपी विधायक कमलेश कुमार सिंह के भी तेवर कड़े हैं। कभी अर्जुन मुंडा की सरकार को गिराकर निर्दलीय मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले कमलेश कुमार सिंह अब हेमंत सोरेन के साथ नहीं हैं।
उन्होंने लगभग चार वर्ष तक उनका साथ दिया, लेकिन पिछले दिनों पत्र देकर बकायदा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इसके लिए उन्होंने हुसैनाबाद को जिला नहीं बनाने की मांग को वजह बताया है। बदली राजनीतिक परिस्थिति में वे भाजपा के साथ मिलकर अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
समर्थन नहीं देने का फिलहाल असर नहीं
राज्य में हेमंत सोरेन का साथ देने वाले राजनीतिक दोस्तों की एक-एक कर संख्या घट रही है। हालांकि, सरयू राय और कमलेश कुमार सिंह के छिटकने से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन को लगभग 50 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन ईडी की कार्रवाई और भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है।
बाबूलाल मरांडी-जेपी नड्डा ने जमकर हमले किए
भाजपा लगातार उन पर हमलावर है। हाल ही में राज्यव्यापी संकल्प यात्रा के क्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निशाने पर हेमंत सरकार रही। यही नहीं, रांची में संपन्न हुई संकल्प यात्रा के समापन समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उनकी तगड़ी घेराबंदी की।
उधर, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ लगाए जा रहे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और उन्हें जबरन लक्ष्य बनाया जा रहा है। मोर्चा ने जनता की अदालत में दो-दो हाथ करने की चुनौती भी दी है।
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