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झारखंड की जेलों में अंग्रेजी कानून से मिलेगी मुक्ति, आज विधानसभा में पेश किया जाएगा विधेयक; कैदियों को दंड से ज्यादा सुधार पर होगा जोर

झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 विधानसभा में पेश होने के लिए तैयार है जिसे आज झारखंड विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इस विधेयक के लागू हो जाने से झारखंड की जेलों मं बंद कैदियों को दंड से ज्यादा उनके मानवाधिकार की रक्षा व सुधार से संबंधित एक कानून अधिकृत रूप से लागू हो जाएगा। झारखंड की जेलों में अंग्रेजी कानून से मुक्ति मिलने जा रही है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 02 Aug 2024 05:30 AM (IST)
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झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 विधानसभा में पश किया जाएगा

राज्य ब्यूरो, जागरण, रांची। राज्य की जेलों में अंग्रेजी कानून से मुक्ति मिलने जा रही है। कैदियों को दंड से ज्यादा उनके सुधार पर जोर दिया जा रहा है। बहुत हद तक झारखंड की जेलों में अंग्रेजों के कानून को खत्म किया जा चुका है और उसके स्थान पर मॉडल जेल मैनुअल के तहत कार्रवाई होती रही है।

अब विधिवत कानून बनाकर उसे लागू करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इसी उद्देश्य से झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 तैयार किया गया है, जिसे शुक्रवार को झारखंड विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा।

इस विधेयक के लागू हो जाने से झारखंड की जेलों मं बंद कैदियों को दंड से ज्यादा उनके मानवाधिकार की रक्षा व सुधार से संबंधित एक कानून अधिकृत रूप से लागू हो जाएगा।

विधेयक की क्यों पड़ी जरूरत

वर्तमान में द प्रिजन एक्ट 1984, द प्रिजनर एक्ट 1900 व द ट्रांसफर आफ प्रिजनर्स एक्ट 1950 कार्यरत हैं। इनमें पहले दो अधिनियम सौ वर्षों से भी अधिक समय के पूर्व तैयार व लागू किए गए जो कि तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाए गए थे तथा लागू किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट से कई जनहित याचिकाओं में कारा सुधार के संबंध में कई महत्वपूर्ण परामर्श व निर्देश दिए गए हैं।

दंड की अवधारणा में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। कारा जो पहले दंडात्मक संस्था थी तथा दंड की प्रकृति थी, अब दंड की प्रकृति सुधारात्मक हो गई है। कारा को सुधारात्मक संस्था के तौर पर देखा जाता है। पूर्व के तीनों ही एक्ट सुधारात्मक व मानवाधिकार की अपेक्षा दंड पर आधारित है।

इस संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 मई 2023 को एक अर्द्धसरकारी पत्र जारी करते हुए राज्यों को ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) से तैयार माडल कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2023 का प्रारूप भेजा था। यह भी लिखा था कि राज्य अपनी परिस्थितियों के अनुसार एक्ट में सुधार कर सकते हैं। इसके बाद ही झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 तैयार हुआ है।

महिला व पुरुष कैदियों के लिए अलग-अलग जेल व अलग अस्पताल

झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 में महिला व पुरुष कैदियों के लिए अलग-अलग जेल व अस्पताल की अवधारणा है। वहां महिला जेल के लिए महिला पदाधिकारी व कर्मी व पुरुष के लिए पुरुष अधिकारी व कर्मी होंगे।

कैदियों के वर्गीकरण के अनुसार उनकी सुरक्षा, आवास व अन्य सुविधाएं होंगी। अगर कोई बंदी बाहरी लोगों से अनधिकृत संवाद करता है या किसी बाहरी व्यक्ति को धमकाता या फिरौती मांगता है तो उसपर कारागार अपराध के तहत कार्रवाई होगी।

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