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Big Action: झारखंड के निजी विश्वविद्यालयों की मान्यता होगी रद, राज्यपाल रमेश बैस ने उठाया सख्त कदम

Jharkhand News राज्यपाल रमेश बैस ने उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग को दिया सख्त आदेश। विभाग ने 16 निजी विश्वविद्यालयों से मांगी है उपलब्ध आधारभूत संरचना की जानकारी। राज्यपाल के आदेश पर उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित की गई है कमेटी।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 08:05 PM (IST)
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Jharkhand Latest News: झारखंड के राज्यपाल ने 15 दिनों में रिपोर्ट नहीं देने वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Private University राज्यपाल रमेश बैस यूजीसी गाइडलाइन तथा राज्य सरकार की गाइडलाइन की शर्तों को पूरा नहीं करनेवाले निजी विश्वविद्यालयों को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने जांच के क्रम में 15 दिनों में मांगी गई रिपोर्ट नहीं देनेवाले निजी विश्वविद्यालयों की मान्यता रद करने का आदेश उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को दिया है। साथ ही जांच रिपोर्ट के आधार पर उन निजी विश्वविद्यालयों की भी मान्यता रद करने को कहा है जो निर्धारित शर्तें पूरी नहीं करते।

जून में राज्यपाल ने गठित की थी कमेटी

राज्यपाल ने जून के अंतिम सप्ताह में ही उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दो माह में सभी निजी विश्वविद्यालयों की जांच के आदेश विभाग को दिए थे। डेढ़ माह बीत जाने के बाद उन्होंने की गई कार्रवाई की जानकारी विभाग से ली। इसपर विभाग की ओर से कमेटी के अलावा चार उप समितियां गठित किए जाने तथा जांच के लिए 16 निजी विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मांगे जाने की जानकारी दी। इसपर राज्यपाल ने 15 दिनों में रिपोर्ट नहीं देनेवाले विश्वविद्यालयों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। बताया जाता है कि यदि कोई विश्वविद्यालय रिपोर्ट नहीं देता है तथा जांच में सहयोग नहीं करता है तो विश्वविद्यालय के संचालक से स्पष्टीकरण मांगकर मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।

भाड़े के मकान में चल रहे कई विश्वविद्यालय

निजी विश्वविद्यालयों को इस शर्त पर मान्यता दी गई थी कि वे दो वर्ष में आवश्यक जमीन तथा तीन वर्ष में आधारभूत संरचना का निर्माण कर लेंगे। कई विश्वविद्यालयों ने निर्धारित अवधि के बाद भी इन शर्तों को पूरा नहीं किया। कुछ विश्वविद्यालय तो भाड़े के मकान भी चल रहे हैं। निजी विश्वविद्यालयों को पांच साल में नैक से एक्रीडिएशन प्राप्त करना तथा प्रत्येक वर्ष आडिट कराना भी अनिवार्य है। इन सभी की जांच हो रही है।

आधारभूत संरचनाओं व शिक्षकों की स्थिति

  • राधा गोविंद विश्वविद्यालय, रामगढ़ : आधारभूत संरचना तो है लेकिन स्थायी शिक्षकों की कमी है। विश्वविद्यालय तक जाने का रास्ता काफी खराब है। शहर से काफी दूरी तय कर खराब रास्ते से होकर ही सभी को जाना पड़ता है।
  • कैपिटल विश्वविद्यालय, कोडरमा : इस विश्वविद्यालय को दो वर्ष पूर्व मान्यता मिली थी। विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना की कमी है। जमीन भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। भाड़े के मकान में विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। प्रबंधन द्वारा एक जगह 10 एकड़ रैयती जमीन नहीं मिलने का हवाला देते हुए सरकार से रियायती दर पर 10 एकड़ जमीन की मांग की है।
  • आइसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग : विश्वविद्यालय का कार्यालय भाड़े पर संचालित है। हजारीबाग से 15 किलोमीटर दूर तरवा खरबा में 100 एकड़ जमीन ली है। नया भवन बना है। कुछ माह पहले से वहां कक्षाएं संचालित हो रही हैं। फिर भी कई आधारभूत संरचनाओं की कमी है।
  • रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय, विश्रामपुर, पलामू : आधारभूत संरचना की कमी नहीं है। यह पचास एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है। यह निजी विश्वविद्यालय की सारी अहर्ता पूरी करता है। विश्वविद्यालय ने सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है। यह पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • वाईबीएन विश्वविद्यालय, रांची : आधारभूत संरचना तो है लेकिन कई विभागों में फैकल्टी का अभाव है। खेल का मैदान, लाइब्रेरी, कामन रूम की सुविधा तो है लेकिन अन्य संसाधन का अभाव है।
  • अर्का जैन विश्वविद्यालय, गम्हरिया : यहां मुख्य रूप से अप्रोच रोड मुख्य समस्या है। विश्वविद्यालय के पास आधारभूत संरचना तो है, लेकिन कई विभाग के छात्रावास कैंपस से बाहर है। बड़ा खेल का मैदान विश्वविद्यालय के नाम पर नहीं है। कामन रूम कम है।
  • नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय जमशेदपुर : आधारभूत संरचना मौजूद है। यहां भी अप्रोच रोड मुख्य समस्या है। विभागों में स्थाई शिक्षकों की कमी है। यहां भी छात्रों के लिए कामन रूम की कमी है।
  • श्रीनाथ विश्वविद्यालय, जमशेदपुर : पिछले वर्ष ही इस विश्वविद्यालय को मान्यता मिली। विश्वविद्यालय के पास आधारभूत संरचना की कमी है। वर्तमान में आदित्यपुर में यह विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है, कैंपस चांडिल में विकसित करने की बात कही जा रही है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार कई विभागों में शिक्षक भी नहीं है।
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