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जागते रहो सो रही है पुलिस... रात दस बजते ही बंद हो जाता है थाने का गेट, जागरण की पड़ताल में ये तस्वीर आई सामने

राजधानी में रहने वाले लोग सावधान हो जाएं। लोगों को खुद जगकर रहना होगा क्योंकि यहां की पुलिस सोती रहती है। रात दस बजते ही थानों के गेट बंद हो जाते हैं। पीसीआर में तैनात जवान सुनसान जगह देखकर गाड़ी लगा देते हैं और आराम फरमाते हैं।

By prince kumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 12 Jan 2023 11:42 PM (IST)
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रात के दस बजते ही थाने में कैद हो जाती है पुलिस।

प्रिंस श्रीवास्तव ,रांची: राजधानी में रहने वाले लोग सावधान हो जाएं। लोगों को खुद जगकर रहना होगा, क्योंकि यहां की पुलिस सोती रहती है। रात दस बजते ही थानों के गेट बंद हो जाते हैं। पीसीआर में तैनात जवान सुनसान जगह देखकर गाड़ी लगा देते हैं और आराम फरमाते हैं। पीसीआर में कई पुलिसकर्मी सोते रहते हैं। रात के वक्त कोई भी पीड़ित थाना में पहुंचता है तो उसे सुबह आने के लिए कहा जाता है।

सोती रहती है पुलिस, होती रहती है चोरी

दैनिक जागरण की टीम बुधवार की देर रात पड़ताल में निकली तो पुलिस की पोल खुल गई। मेन रोड में बाइकर्स तेज गति से बाइक चलाते मिले लेकिन उन्हें रोक-टोक करने वाला कोई नहीं मिला। रांची पुलिस रात होते ही सो जाती है, इस वजह से शहर में चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। पुलिस के आकंड़े के अनुसार, राजधानी में प्रतिदिन पांच से छह चोरी की घटना होती हैं लेकिन पुलिस ज्यादातर मामलों का खुलासा नहीं कर पाती है।

खानापूर्ती करते हैं अधिकारी

शहर में हर रात पुलिसकर्मियों पर नजर रखने के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारियों को तैनात किया गया है लेकिन डीएसपी स्तर के अधिकारी भी खानापूर्ति करते हैं। डीएसपी चेकिंग में तो निकलते हैं लेकिन वह पीसीआर में तैनात जवानों तक नहीं जाते हैं। इस बात का पता नहीं लगाते हैं कि पीसीआर में तैनात जवान किस हाल में हैं।

थानेदार आदेश को दिखाते हैं ठेंगा

डीएसपी पीसीआर में तैनात जवानों को फोन करते हैं और उन्हें अपने पास बुला लेते हैं। वहीं शहर में थानेदार भी एसएसपी किशोर कौशल के आदेश को ठेंगा दिखाते हैं। इंस्पेक्टर अलग-अलग दिन चेकिंग करने का आदेश देते हैं लेकिन इंस्पेक्टर अपनी जगह दूसरे दरोगा को चेकिंग में भेज देते हैं।

यह है राजधानी में पुलिस का हाल

पड़ताल के दौरान चुटिया थाने के थाना परिसर में कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। एक पुलिसकर्मी कुर्सी पर सो रहा था। उसे उठाने का प्रयास किया गया लेकिन वह नहीं उठा। थाना के स्वागत कक्ष में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।

डोरंडा थाना में रात के वक्त एक पीड़ित अंबिका सिंह थाना के गेट के बाहर खड़ा था। थाना का गेट बंद था। गेट पर मौजूद एक पुलिसकर्मी ने अंबिका सिंह से कहा कि जो बात है सुबह आना। अंबिका सिंह ने बताया कि उसे जान से मारने की धमकी मिली है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।

जगन्नाथपुर थाना में भी यही हाल रहा और जगन्नाथपुर थाना में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। एक पुलिसकर्मी दिखा लेकिन वह कुर्सी पर सो रहा था। थाना का मुख्य द्वारा भी बंद था।

बरियातू थाना में तो थाना का मेन गेट बंद कर दिया गया था। किसी भी व्यक्ति को अंदर जाने पर रोक था। रिम्स के समीप रहने वाले कारोबारियों का कहना था कि थाना का गेट प्रतिदिन बंद रहता है। अगर कोई गेट खोलकर अपनी बात रखने के लिए अंदर जाता है तो पुलिस कड़ी फटकार लगाती है।