Move to Jagran APP

Jharkhand Road Safety: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सिर्फ बसों की जांच, वैन-आटो की निगरानी नहीं

Jharkhand Road Accident झारखंड के अधिकारी लकीर के फकीर बने बैठे हैं। कभी वैन और आटो की जांच नहीं करते। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्देश लेकिन बसों में अभी भी ठूंसकर छात्र भरे जा रहे हैं। चालकों उपचालकों के लिए तमाम निर्देश ताक पर है।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Mon, 21 Nov 2022 08:51 PM (IST)
Hero Image
Jharkhand Road Accident: झारखंड में छोटे वाहनों की स्थिति की जांच करने में कोताही।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Road Accident सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक दर्जन से अधिक बिंदुओं पर अपने सुझाव दिए हैं लेकिन इनमें से अधिसंख्य सुझावों की अनदेखी नियमित तौर पर हो रही है। कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्कूल बसों में जिस प्रकार की सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था उनकी अभी अनदेखी हो रही है। बसों में आपको जहां-तहां ठूंसकर बिठाए गए बच्चे दिख जाएंगे लेकिन, इससे बड़ी परेशानी तो वैन और आटो से आनेवाले बच्चों को झेलनी पड़ रही है। इन्हें देखनेवाला भी कोई नहीं।

झारखंड में जर्जर वाहनों से स्कूल पहुंचाए जाते बच्चे

पुराने, जर्जर वाहनों पर बच्चों को ओवरलोड करके स्कूल तक लाते हैं। निर्धारित सीटों की तुलना में दोगुने बच्चे कभी भी देखे जा सकते हैं। यातायात पुलिस और अधिकारी इस मामले में लकीर के फकीर बने बैठे हैं और कभी इन वाहनों की जांच नहीं करते। यही हाल ग्रामीण इलाकों में रिक्शों से पहुंचनेवाले बच्चों का है। हालांकि ऐसे रिक्शों की संख्या नगण्य है। तमाम प्रकार से बच्चों का जीवन खतरों से मुक्त होता नहीं दिख रहा है। वैन-आटो पर सवार छात्रों की मौत की घटना अभी कुछ दिनों पूर्व ही गुमला और खूंटी में घटित हुई है जिसके बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती।

स्कूल संचालकों को परेशान करने के लिए होती जांच

दूसरी ओर, बसों की जांच नियमित तौर पर होती है। प्रसिद्ध स्कूलों के बसों की जांच तो कई बार सिर्फ इसलिए ही होती है कि अधिकारी अपने या अपने किसी खास व्यक्ति के रिश्तेदार का नामांकन उक्त स्कूल में कराना चाहते हैं। इस प्रक्रिया में खामी खोजते हुए अधिकारी अपने मकसद में कामयाब भी हो जाते हैं। दूसरी ओर, स्कूली बसों के चालकों और उप चालकों को नियमों के अनुपालन के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा है। अभी भी कई स्कूली बसों के चालक नशे में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाते हैं जबकि उपचालकों का तो कहीं भी प्रशिक्षण भी नहीं है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।