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    Jharkhand Politics: राज्य में अनुसूचित जाति आर्थिक-सामाजिक रूप से बदहाल, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सीएम को पत्र लिख बताई स्थिति

    By Pradeep Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Mon, 03 Nov 2025 07:35 PM (IST)

    झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर चिंता जताई है। उन्होंने एससी परामर्शदात्री परिषद के पुनर्गठन की मांग की है ताकि इस वंचित वर्ग की समस्याओं का समाधान हो सके। मंत्री ने एससी आयोग को क्रियाशील करने का भी आग्रह किया, जिससे राज्य में समावेशी विकास को बढ़ावा मिल सके।

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    झारखंड में एससी समुदाय की आर्थिक-सामाजिक स्थिति को लेकर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।

    राज्य ब्यूरो , रांची। झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की आर्थिक-सामाजिक स्थिति को लेकर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सोमवार को एक पत्र लिखा है।

    पत्र में उन्होंने एससी परामर्शदात्री परिषद के पुनर्गठन की मांग की है ताकि इस वंचित वर्ग की समस्याओं का समाधान हो सके। पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि 15 नवंबर को झारखंड राज्य अपना 25वां स्थापना दिवस मनाएगा।

    एससी वर्ग के लोग भूमिहीन, मजदूरी पर निर्भर

    राज्य सरकार हर वर्ग के विकास के लिए संकल्पित है, लेकिन भूमिहीन और मजदूरी पर निर्भर एससी वर्ग की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। 2025-26 के बजट भाषण में एससी परामर्शदात्री परिषद के पुनर्गठन की घोषणा की गई थी, जो सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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    किशोर ने जोर दिया कि गठबंधन सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि इस वर्ग का जीवन स्तर ऊंचा उठाया जाए। झारखंड में एससी की आबादी लगभग 14 प्रतिशत (50-55 लाख) है। एससी समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति अनुसूचित जनजाति (एसटी) से भी बदतर है।

    बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, आवास, स्वच्छता और ऊर्जा जैसी बुनियादी जरूरतों में गंभीर कमी है। एससी परिवारों की वार्षिक आय औसतन 50 हजार रुपये से कम है, जो उनकी आर्थिक बदहाली को दर्शाता है। यह वर्ग मजदूरी पर जीविका चलाता है और भूमि रहित होने से विकास की मुख्यधारा से वंचित है।

    संवैधानिक प्रविधानों का हवाला, आयोग और परिषद का क्रियान्वयन जरूरी

    पत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद-338 का जिक्र करते हुए मंत्री ने एससी आयोग के गठन का प्रविधान याद दिलाया, जो इस समुदाय के संरक्षण, कल्याण और विकास के लिए है। झारखंड में 2018 में एससी आयोग का गठन अधिसूचना के साथ हुआ, लेकिन यह कभी क्रियाशील नहीं रहा।

    एससी आयोग और परामर्शदात्री परिषद का शीघ्र पुनर्गठन की मांग

    इसी तरह, 15 सितंबर 2008 को एससी परामर्शदात्री परिषद की अधिसूचना जारी हुई और नियमावली बनी, किंतु 17 वर्षों में यह नियमित रूप से सक्रिय नहीं हो सकी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि एससी आयोग और परामर्शदात्री परिषद का शीघ्र पुनर्गठन का आदेश जारी करें। यह कदम राज्य के समावेशी विकास को मजबूत करेगा।