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लापरवाही: सामान्य जाति के बच्चों की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा, अधिकारियों की लापरवाही से उत्पन्न हुई तकनीकी समस्य

Jharkhand Education News चतरा(Chatara) जिले में सामान्य जाति(General Caste) के स्कूली छात्रों की छात्रवृत्ति(Students Scholarship) पर शिक्षकों की लापरवाही के कारण ग्रहण लग गया है। यहां तक कि अनुसूचित जाति(Scheduled Caste) और पिछड़े वर्ग(Backward Class) के हजारों छात्र(Student) भी छात्रवृत्ति से वंचित रह गए हैं।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Mon, 13 Dec 2021 08:54 AM (IST)
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लापरवाही: सामान्य जाति के बच्चों की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा, अधिकारियों की लापरवाही से उत्पन्न हुई तकनीकी समस्य

चतरा(जासं)। Jharkhand Education News: चतरा(Chatara) जिले में सामान्य जाति(General Caste) के स्कूली छात्रों की छात्रवृत्ति(Students Scholarship) पर शिक्षकों की लापरवाही के कारण ग्रहण लग गया है। यहां तक कि अनुसूचित जाति(Scheduled Caste) और पिछड़े वर्ग(Backward Class) के हजारों छात्र(Student) भी छात्रवृत्ति से वंचित रह गए हैं। सर्वेक्षण(Survey) के दौरान छात्रों के फर्जी आंकड़े(Fake Data) दर्शाए जाने से ऐसी नौबत आई है। मामला उजागर होने के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग(Education and Literacy Department) के सचिव राजेश शर्मा ने जिला शिक्षा अधीक्षक जितेंद्र कुमार सिन्हा के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है।

सरकार ने गरीब स्कूली बच्चों को भी छात्रवृत्ति देने का किया है फैसला:

दरअसल राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों की तरह ही सामान्य जाति के गरीब स्कूली बच्चों को भी छात्रवृत्ति देने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने लाभुकों का सर्वेक्षण कराया है। उसमें सामने आए आंकड़े से पूर्व के सर्वेक्षण में फर्जीवाड़ा किए जाने का पता चला। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के यू-डायस के अनुसार पहली से 12वीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सामान्य वर्ग के छात्रों की संख्या 10,103 है। मगर जब स्कूल स्तर पर सर्वेक्षण कराया गया तो उनकी संख्या महज 6842 ही पाई गई।

सर्वेक्षण के दौरान दर्शा दिया गया सामान्य जाति:

पूर्व में अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक बच्चों की जाति का भेद गलत ढंग से कर दिया गया। मसलन कुंदा प्रखंड में निवास करने वाले खरवार जाति के बच्चे अपने सरनेम में ङ्क्षसह लिखते हैं। हालांकि वह अनुसूचित जाति में आते हैं। मगर सर्वेक्षण के दौरान उन्हें सामान्य जाति में दर्शा दिया गया। लिहाजा उस जाति के बच्चे अनुसूचित जाति के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति के लाभ से वंचित रह गए। इसी प्रकार मुस्लिम अल्पसंख्यकों में पिछड़े वर्ग के बच्चों को पठान और सैयद दर्शा दिया गया। इसी वजह से सर्वेक्षण में सामान्य जाति के बच्चों की संख्या ज्यादा हो गई, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और थी।

10,103 बच्चों का बैंक खाता उपलब्ध कराने का आदेश:

अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग यू डायस (समेकित जिला शिक्षा शैक्षणिक संग्रह प्रणाली ) के मुताबिक सामान्य जाति के 10,103 बच्चों का बैंक खाता उपलब्ध कराने का आदेश दिया है, ताकि डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) के माध्यम से उनके खाते में छात्रवृत्ति की राशि डाली जा सके। सामान्य जाति के लाभुक छात्रों की संख्या कम होने के कारण तकनीकी रूप से आदेश का अनुपालन मुश्किल हो गया है।

अधिकारियों की लापरवाही से यह तकनीकी समस्या उत्पन्न हुई है: डीएसई

चतरा के डीएसई जितेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि समेकित जिला शिक्षा शैक्षणिक संग्रह प्रणाली (यू डायस) झारखंड शिक्षा परियोजना तैयार करती है। उसके अधिकारियों की लापरवाही से यह तकनीकी समस्या उत्पन्न हुई है।

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