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Ranchi: राज्य समन्वय समिति की राजभवन में नो एंट्री, गेट पर सौंपना पड़ा ज्ञापन, कहा- विधेयक वापस करें राज्यपाल

राज्य समन्वय समिति ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से संविधान के अनुच्छेद- 200 के तहत तीन विधेयकों को लौटाने का अनुरोध किया है। समिति ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता विधेयक ओबीसी सहित अन्य श्रेणी में आरक्षण बढ़ाने संबंधित विधेयक और मॉब लिंचिग से संबंधित विधेयक को आपत्ति के बिंदुओं से संबंधित संदेश के साथ लौटाने की मांग की है। इसे लेकर समिति ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है।

By Neeraj AmbasthaEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 03 Sep 2023 07:20 PM (IST)
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राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने राज्यपाल पर असहयोग का लगाया आरोप। (जागरण फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची: राज्य समन्वय समिति ने पूर्व में भी इन विधेयकों को लेकर राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था। लेकिन राजभवन से दो दिनों में समय नहीं मिला। समिति के सदस्यों ने रविवार दोपहर दो बजे राजभवन के गेट पर पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में कहा गया है कि राजभवन से नियमानुसार विधेयक लौटाने पर राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दोबारा विधेयक पारित कराएगी। इससे पहले राजभवन द्वारा बिना कोई कारण बताए बिना संदेश के विधेयक लौटा दिए गए थे, जिससे इसे विधानसभा से दोबारा पारित कराने में तकनीकी अड़चन आ रही है।

इधर, समन्वय समिति के सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए राजभवन पर असहयोग का आरोप लगाया है। समिति ने कहा कि दो दिन पहले ही राज्यपाल से मुलाकात के लिए पत्र भेजकर समय की मांग की गई थी। समिति की इच्छा की अनदेखी की गई।

बता दें कि राज्य समन्वय समिति के सदस्यों को मंत्री का दर्जा प्राप्त है। इसके सदस्यों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय, पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद तथा फागू बेसरा सम्मिलित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन समिति के अध्यक्ष हैं। हालांकि वे प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित नहीं थे।

संविधान के प्रविधानों की अनदेखी का आरोप

राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार ने आदिवासी और मूलवासी के हक की रक्षा और झारखंडी अस्मिता एवं पहचान बनाए रखने के लिए तीनों महत्वपूर्ण विधेयकों को विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजा था।

राजभवन ने कुछ एक बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कर इन्हें सरकार को लौटा दिया। राजभवन ने विधेयकों को लौटाते वक्त यह नहीं बताया कि इन विधेयकों में किस तरह की आपत्ति है। ऐसा नहीं कर संविधान के अनुच्छेद- 200 की अनदेखी की गई है।

दिए कई पूर्व उदाहरण

समन्वय समिति के सदस्यों ने अपने ज्ञापन में पूर्व के उदाहरण दिए। कहा कि पूर्व में तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी तथा द्रौपदी मुर्मु ने लौटाए गए विधेयकों के साथ अपनी आपत्ति बिंदुवार बताई थी।

समिति की ओर से राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद- 200 के अंतर्गत जो बातें कही गई है उसी के अनुरूप फिर से तीनों विधेयकों को वापस किया जाए ताकि सरकार उन्हें दोबारा विधानसभा से पारित कराकर भेज सके।

सरकार ने दोबारा विधेयकों को भेजा है राजभवन

राज्य सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र से पहले ही उक्त तीनों विधेयकों को राजभवन को दोबारा भेज दिया है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद -200 के तहत अपने संदेश के साथ विधेयक विधानसभा सचिवालय को भेजने को कहा है।

इससे पहले राजभवन ने तीनों विधेयकों को राज्य सरकार को लौटाया था। उसमें विधेयक लौटाने के कारण भी बताए गए थे। 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से संबंधित विधेयक के बारे में कहा गया था कि विधानसभा को यह विधेयक पारित करने की शक्ति ही नहीं है।

मॉब लिंचिंग विधेयक में कहा गया कि इसमें भीड़ को सही ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है। राजभवन ने विधेयकों को दोबारा लौटाने पर अभी तक निर्णय नहीं लिया है। बताया जाता है कि इसपर कानूनी राय ली जा रही है।

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