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झारखंड का अनूठा तर्पण घाट, यहां चेरो आदिवासी भी करते हैं पितरों को इस तरह याद

Jharkhand News झारखंड का तर्पण घाट अनूठा है। जहां चेरो आदिवासी भी पितृ पक्ष में पितरों को तपर्ण करते हैं। ठीक उसी तरह जैसे सनातनी अपने पुरखों को याद करते हैं और तपर्ण करते हैं। पलामू प्रमंडल में चेरो आदिवासी की संख्या करीब दो लाख है।

By JagranEdited By: Sanjay KumarUpdated: Sat, 24 Sep 2022 10:40 AM (IST)
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Jharkhand News: झारखंड के तर्पण घाट पर चेरो आदिवासी पितरों को याद करते है।

सतबरवा (पलामू), संसू। Jharkhand News सनातन धर्म को बांटने और कमजोर करने का झारखंड समेत पूरे देश में अभियान चल रहा है। इस अभियान के तहत ही आदिवासियों को सनातन धर्म से अलग बताने वालों की कमी नहीं है। इसके बावजूद आदिवासियों की कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं हैं तो सनातन धर्म के काफी नजदीक हैं। जैसे सनातनी पितृ पक्ष में पितरों को तपर्ण करते हैं उसी तरह चेरो आदिवासी भी अपने पुरखों को याद करते हैं और तर्पण करते हैं। पलामू प्रमंडल में चेरो की संख्या करीब दो लाख है।

औरंगा नदी तट पर किया सामूहिक तपर्ण

पलामू किले के पास से औरंगा नदी बहती है। राजा मेदिनी राय का पलामू किला निवास था। राजा मेदिनी राय चेरो वंश के राजा थे। उनका शासनकाल 1658 से 1674 था। ये आदिवासी थे। नदी के पास पितृपक्ष में बड़ी संख्या में चेरो जमा होते हैं और तपर्ण करते हैं। इस साल भी तर्पण में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। तर्पण करने वालों में राजा मेदिनी राय के वंशज कृत सिंह प्रमुख थे। वैदिक रीति रिवाज से पुरोहित ने तर्पण कराया।

मेदिनी युवा मंच ने किया आयोजन

औरंगा नदी के तट पर फुलवरिया में शुक्रवार को तर्पण सह चेरो मिलन समारोह का आयोजन मेदिनी युवा मंच के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन दूधी उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक हरिराम सिंह, मनिका विधायक रामचंद्र सिंह, बीआईटी मिश्रा के प्रोफ़ेसर डॉ मीना सिंह, अवधेश सिंह चेरो ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया। कार्यक्रम शाम तक चला। चेरो समाज को शिक्षित और नशामुक्त करने का संकल्प लिया गया।

आदिवासी सनातन धर्म के ही नजदीक हैं: विधायक

मनिका विधायक रामचंद्र सिंह का कहना है कि आदिवासी सनातन धर्म के ही नजदीक हैं। एक घर में चार भाई होते हैं और सबकी विचारधारा एक नहीं होती है। उसी तरह चेरो आदिवासी और आदिवासी भी हैं। इस विषय पर अभी ज्यादा कहना उचित नहीं होगा। तपर्ण सह मिलन समारोह में बड़ी संख्या में चेरो जुटे। यह विचार किया गया कि राजा मेदिनी राय के समय हम कैसे थे और आज कैसे हैं? राजा के समय के अपने को बनाने के लिए शिक्षित होने और नशामुक्त होने का संकल्प लिया गया।