नोवामुंडी में 7000 एमटी लौह अयस्क की चोरी का मामला, जवाब देने नहीं आए खनन सचिव
रांची राज्य सरकार के अधिकारी विधानसभा की समितियों को गंभीरता से नहीं लेते। अक्सर देखा जाता है कि समिति द्वारा तलब किए जाने पर कनीय अधिकारियों को बैठक में भेजकर औपचारिकता पूरी की जाती है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी बोकारो साइडिग से लौह अयस्क की हेराफेरी मामले में भी ऐसा ही हुआ। खन सचिव जवाब देने नहीं आए।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 08:07 PM (IST)
रांची : राज्य सरकार के अधिकारी विधानसभा की समितियों को गंभीरता से नहीं लेते। अक्सर देखा जाता है कि समिति द्वारा तलब किए जाने पर कनीय अधिकारियों को बैठक में भेजकर औपचारिकता पूरी की जाती है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी बोकारो साइडिग से लौह अयस्क की हेराफेरी मामले में भी ऐसा ही हुआ। विधानसभा की प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति इस मामले की जांच कर रही है। विधानसभा में यह प्रश्न उठाए जाने के बाद मामला समिति को सौंपा गया था।
समिति की 23 नवंबर को हुई बैठक में विभागीय सचिव ने सभापति सरयू राय से जवाब के लिए 15 दिन का वक्त मांगा। उन्होंने एक माह का समय देते हुए निर्देश दिया कि अगली बैठक में पूरी तैयारी के साथ आएं। विभागीय सचिव ने बैठक में निदेशक समेत अन्य अधिकारियों को भेज दिया। इसपर समिति ने आपत्ति जताई और नोटिस जारी करने की चेतावनी दी। यह मामला 7000 एमटी लौह अयस्क की चोरी से जुड़ा है, जिसमें कई अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है। विभाग ने समिति के समक्ष आधे-अधूरे जवाब सौंपे हैं, जिससे समिति संतुष्ट नहीं है। ------ यह है मामला :
नोवामुंडी बोकारो साइडिग में 50,750 एमटी लौह अयस्क जब्त हुआ था। इसमें तत्कालीन जिला खनन पदाधिकारी द्वारा 34,264.35 एमटी का उठाव हुआ। इस स्थल से 7,000 एमटी लौह अयस्क की चोरी का मामला सामने आने पर जिला खनन पदाधिकारी ने 10 फरवरी 2011 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पश्चिमी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि इसमें पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। इसका ब्यौरा जिला खनन कार्यालय में अलग से उपलब्ध नहीं है। सहायक खनन पदाधिकारी, चाईबासा ने इस संबंध में समिति को रिपोर्ट सौंपी थी। -------------
विधानसभा की प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति के समक्ष खनन सचिव ने जवाब देने के लिए समय का आग्रह किया था। उन्हें इसके लिए समिति के समक्ष उपस्थित होना था, लेकिन वे नहीं आए और कनीय स्तर के पदाधिकारियों को बैठक में शामिल होने के लिए भेजा गया। जबकि, विभागीय सचिव को इसे गंभीरता से लेना चाहिए था। यह प्रवृत्ति सही नहीं है। - सरयू राय, सभापति, प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, विधानसभा। -----------------
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