Jharkhand Unique Village: हजारीबाग में गांव के नाम से ग्रामीण परेशान, जानिए क्या होता है 'दारु' का अर्थ
Jharkhand Unique Village झारखंड के हजारीबाग जिले में एक प्रखंड मुख्यालय है- दारु। इस गांव के लोग इस नाम से परेशान रहते हैं। वजह- बाहरी लोग इसका सही उच्चारण ही नहीं कर पाते हैं। वह दारू बोल देते हैं।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 04:59 PM (IST)
रांची, डिजिटल डेस्क। Jharkhand Unique Village नाम में क्या रखा है...! इस तरह का डायलाग दोहराने वाले लोगों को यह समझ लेना जरूरी है कि नाम में बहुत कुछ रखा है। इंसान इस दुनिया को अलविदा की जाता है, सबकुछ छोड़कर ईश्वर के पास चला जाता है, लेकिन उसका नाम ही धरती पर जिंदा रहता है। आज की यह कहानी भी नाम को लेकर ही है। जी हां, एक गांव के नाम को लेकर। यह गांव है- दारु। हजारीबाग जिले का एक प्रखंड मुख्यालय है। पहले गांव था, अब प्रखंड मुख्यालय बन चुका है। हजारीबाग से करीब 40 किलोमीटर दूर है यह गांव। यहां पहुंचना बेहद आसान है।
बाहर के लोग नहीं कर पाते सही उच्चारण
इस गांव का नाम जैसे ही कोई सुनता है, चौंक जाता है। बाहरी लोग दारु का मतलब सीधे शराब से ही लगाते हैं। देसी शराब? गांव वालों को सफाई देनी पड़ती है- नहीं जी, शराब वाली नहीं है। यहां कोई शराब नहीं बनती है। आप गलत समझ रहे हैं। दारू नहीं दारु कहिए। मात्रा का फर्क है। इसका मतलब दूसरा होता है। फिर लोगों को इस दारु का मतलब समझाना पड़ता है। इसकी पूरी कहानी सुनानी पड़ती है। सुननेवाले के मुंह से आखिर में शब्द निकलता है- ओह..., मैं समझा...।
दारु नाम से कोई रेलवे स्टेशन नहीं यहां
सोशल मीडिया पर अर्से से एक तस्वीर वायरल हो रही जिसमें बताया जा रहा कि झारखंड के हजारीबाग जिले में दारु रेलवे स्टेशन है। इससे संबंधित काल्पनिक तस्वीरें भी वायरल की जा रही हैं। लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस नाम का यहां कोई रेलवे स्टेशन ही नहीं है। हां, हजारीबाग जिले में एक प्रखंड है- दारु। इस प्रखंड के लोग इस नाम से परेशान जरूर हैं। पहली बात तो कोई इस गांव के नाम का सही उच्चारण ही नहीं कर पाता है। दूसरी बात यह कि इसके नाम का लोग गलत अर्थ निकाल लेते हैं। दारु और दारू में बहुत फर्क है। लोग इस फर्क को नहीं समझ पा रहे हैं।
दारु का मतलब होता देवदार का पेड़दारु और दारू दोनों अगल-अलग शब्द हैं। दारू शब्द का अर्थ जहां शराब होता है, वहीं दारु शब्द देवदार का पर्यायवाची है। देवदार यानी पहाड़ों पर पाया जानेवाला विशेष प्रकार का पेड़। यह अपनी लंबाई और उम्रदराज होने के कारण जंगलों में विशेष महत्व रखता है। इसकी लकड़ी काफी टिकाऊ होती है। लोक समाज में इसे इतना सम्मान प्राप्त है कि इसे देवताओं का पेड़ भी कहा जाता है। इसी दारु शब्द का उल्लेख हजारीबाग जिले के इस प्रखंड क्षेत्र के बारे में किया गया है।
लगभग 50 हजार आबादी वाला है क्षेत्रझारखंड के हजारीबाग जिले में करीब 45 प्रतिशत वन क्षेत्र मौजूद है। जिधर नजर घुमाइए हरे भरे जंगल आपको दिखाइ देंगे। संभव है कि यहां किसी जमाने में देवदार के पेड़ भी बहुतायत रहे होंगे। इस कारण लोगों ने गांव का नाम दारु रख दिया होगा। बाद में इलाका विकसित हुआ और प्रखंड मुख्यालय बन गया। आज दारु प्रखंड की आबादी 45 हजार 794 हैं। इस प्रखंड क्षेत्र में कुल 9 ग्राम पंचायतें हैं। वहीं, राजस्व गांवों की संख्या 52 हैं। गांव के लोग हैरान हैं कि सोशल मीडिया में कहा जा रहा कि इस गांव में रेलवे स्टेशन है, जबकि यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।
हजारीबाग जिले का यह पुराना गांवमालूम हो कि हजारीबाग जिले की स्थापना 1833 में हुआ था। इस समय इस जिले में कुल 16 प्रखंड हैं। इनमें इचाक सबसे बड़ा प्रखंड क्षेत्र है। इचाक प्रखंड में 84 गांव शामिल हैं। इन्हीं 16 प्रखंडों में से एक प्रखंड है दारु। इस नाम का यहां गांव भी है। यह गांव काफी पुराना है। थाना हाे या प्रखंड कार्यालय हर जगह दारु लिखा मिल जाएगा।
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