Jharkhand News: हेमंत सरकार की बड़ी उपलब्धि, अब बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भर नहीं रहेगा झारखंड
Ranchi News अब झारखंड बिजली के लिए दामोदर घाटी निगम पर निर्भर नहीं रहेगा। दरअसल 132 केवी डीसी चंदनक्यारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन को मानक वोल्टेज पर चार्ज कर दिया गया है। बंगाल में झारखंड के कुल 24 ट्रांसमिशन टावर लगाए गए। ट्रांसमिशन लाइन में कुल 275 टावरों का निर्माण किया गया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। बिजली को लेकर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर झारखंड की निर्भरता खत्म हो जाएगी। झारखंड ऊर्जा संचरण निगम ने शनिवार को एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 132केवी डीसी चंदनक्यारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन को मानक वोल्टेज पर चार्ज कर दिया।
डीवीसी कमांड एरिया के प्रमुख जिलों में इससे बिजली की आपूर्ति बेहतर होगी। साथ ही डीवीसी के बकाए को लेकर बार-बार उठने वाले विवाद से भी बचा जा सकेगा। डीवीसी के बकाए को लेकर पूर्व में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच खींचतान हो चुकी है।
किस्तों पर किया था राज्य सरकार ने भुगतान
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से बकाया रकम सीधे काट ली थी। बाद में किस्तों में इसका राज्य सरकार ने भुगतान किया। इस बीच राज्य में बिजली की आधारभूत संरचना को मजबूत करने पर फोकस किया गया।
आरंभ में चंदनक्यारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन को लेकर बंगाल सरकार के साथ जिच हुई। टावर लगाने की अनुमति पुरुलिया जिला प्रशासन से नहीं मिल पा रही थी।
बंगाल में लगाए गए झारखंड के कुल 24 ट्रांसमिशन टावर
बेहतर समन्वय की पहल हुई तो बंगाल सरकार से पूरी मदद मिली और 67.3 किलोमीटर लंबा ट्रांसमिशन लाइन का काम संपन्न हो गया। यह लाइन साढ़े पांच किलोमीटर बंगाल से होकर गुजरी है। बंगाल में झारखंड के कुल 24 ट्रांसमिशन टावर लगाए गए। ट्रांसमिशन लाइन में कुल 275 टावरों का निर्माण किया गया है।
ट्रांसमिशन लाइन के जरिए गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि डीवीसी पर निर्भरता भी खत्म हो जाएगी। यह राज्य में बिजली के आधारभूत संरचना के निर्माण में मील का पत्थर है। - केके वर्मा, एमडी, ऊर्जा संचरण निगम
चंदनक्यारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन
- पूरी लंबाई - 67.3 किलोमीटर
- कुल टावर - 275
- बंगाल में टावर - 24
- बंगाल में लंबाई - 5.5 किलोमीटर
बिजली उपभोक्ताओं को होगा फायदा
डीवीसी पर निर्भरता खत्म होने से गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं की जेब भी हल्की होगी। मासिक बिजली दर लगभग आधी हो जाएगी। अभी डीवीसी से प्रति यूनिट लगभग छह रुपये की दर से बिजली का भुगतान करना पड़ता है। झारखंड बिजली वितरण निगम के जरिए भुगतान होने पर यह लगभग सवा तीन रुपये प्रति यूनिट के आसपास होगी।
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