झारखंड के हर घर बिजली पहुंचाने का दावा झूठा, चौंकाने वाला है विद्युतीकरण से वंचित गांवों का आंकड़ा
झारखंड की पूर्ववर्ती सरकार का दावा था कि वह राज्य के कोने-कोने तक तक बिजली की सुविधा पहुंचा चुकी है। दैनिक जागरण की पड़ताल में सरकार का यह दावा झूठा साबित हुआ है। अभी भी राज्य में 2817 गांव-टोले ऐसे हैं जहां तक बिजली पहुंचाना बाकी है। इसके अलावा 4980 स्थानों पर आंशिक तौर पर विद्युतीकरण हुआ है यानी कहीं पर पोल लगे हैं या तार ही पहुंच पाया है।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 29 Jun 2023 06:37 PM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची: झारखंड में शतप्रतिशत विद्युतीकरण का दावा झूठा है। झारखंड बिजली वितरण निगम ने जब इसकी जमीनी जांच-पड़ताल कराई तो सच्चाई कुछ और ही निकला। पड़ताल में पाया गया कि सिर्फ मौखिक व भ्रामक सूचनाओं के आधार पर पूववर्ती सरकार ने इसे सही मान लिया था कि राज्य में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण हो चुका है।
अभी भी राज्य में 2817 गांव-टोले ऐसे हैं, जहां तक बिजली पहुंचाना बाकी है। इसके अलावा 4980 स्थानों पर आंशिक तौर पर विद्युतीकरण हुआ है, यानी कहीं पर पोल लगे हैं या तार ही पहुंच पाया है। बिजली कुछ घरों तक ही पहुंच पाई है।
ये सारे इलाके दुरूह और सुदूरवर्ती होने के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी हैं। अब इन क्षेत्रों के विद्युतीकरण का काम नए सिरे से आरंभ होगा। इसके दायरे में वैसे क्षेत्र भी आएंगे, जहां बिजली पोल के जरिए नहीं पहुंचाकर बांस या किसी अन्य सहारे से पहुंचाई गई है।
सीएम की मंजूरी, 1485 करोड़ की योजना तैयार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल करने का निर्देश दिया है। इसके तहत 1485.39 करोड़ की योजना तैयार की गई है।
योजना के तहत चिन्हित गांव-टोले तक बिजली पहुंचाने का काम होगा। इसके तहत 10060 सर्किट किलोमीटर 11केवी ओवरहेड लाइन, 1451 सौ केवीए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर, 63केवीए क्षमता के 2588 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर और 25 केवीए क्षमता के 4899 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे।
इसके अलावा 9338 सर्किट किलोमीटर तीन फेज एलटी लाइन और 1255 सर्किट किलोमीटर एक फेज एलटी लाइन अधिष्ठापित किया जाएगा। इस परियोजना पर 1485 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब इसे मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
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