झारखंड के हर घर बिजली पहुंचाने का दावा झूठा, चौंकाने वाला है विद्युतीकरण से वंचित गांवों का आंकड़ा
झारखंड की पूर्ववर्ती सरकार का दावा था कि वह राज्य के कोने-कोने तक तक बिजली की सुविधा पहुंचा चुकी है। दैनिक जागरण की पड़ताल में सरकार का यह दावा झूठा साबित हुआ है। अभी भी राज्य में 2817 गांव-टोले ऐसे हैं जहां तक बिजली पहुंचाना बाकी है। इसके अलावा 4980 स्थानों पर आंशिक तौर पर विद्युतीकरण हुआ है यानी कहीं पर पोल लगे हैं या तार ही पहुंच पाया है।
प्रदीप सिंह, रांची: झारखंड में शतप्रतिशत विद्युतीकरण का दावा झूठा है। झारखंड बिजली वितरण निगम ने जब इसकी जमीनी जांच-पड़ताल कराई तो सच्चाई कुछ और ही निकला। पड़ताल में पाया गया कि सिर्फ मौखिक व भ्रामक सूचनाओं के आधार पर पूववर्ती सरकार ने इसे सही मान लिया था कि राज्य में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण हो चुका है।
अभी भी राज्य में 2817 गांव-टोले ऐसे हैं, जहां तक बिजली पहुंचाना बाकी है। इसके अलावा 4980 स्थानों पर आंशिक तौर पर विद्युतीकरण हुआ है, यानी कहीं पर पोल लगे हैं या तार ही पहुंच पाया है। बिजली कुछ घरों तक ही पहुंच पाई है।
ये सारे इलाके दुरूह और सुदूरवर्ती होने के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी हैं। अब इन क्षेत्रों के विद्युतीकरण का काम नए सिरे से आरंभ होगा। इसके दायरे में वैसे क्षेत्र भी आएंगे, जहां बिजली पोल के जरिए नहीं पहुंचाकर बांस या किसी अन्य सहारे से पहुंचाई गई है।
सीएम की मंजूरी, 1485 करोड़ की योजना तैयार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल करने का निर्देश दिया है। इसके तहत 1485.39 करोड़ की योजना तैयार की गई है।
योजना के तहत चिन्हित गांव-टोले तक बिजली पहुंचाने का काम होगा। इसके तहत 10060 सर्किट किलोमीटर 11केवी ओवरहेड लाइन, 1451 सौ केवीए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर, 63केवीए क्षमता के 2588 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर और 25 केवीए क्षमता के 4899 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे।
इसके अलावा 9338 सर्किट किलोमीटर तीन फेज एलटी लाइन और 1255 सर्किट किलोमीटर एक फेज एलटी लाइन अधिष्ठापित किया जाएगा। इस परियोजना पर 1485 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब इसे मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
किस एरिया बोर्ड क्या है स्थिति
1. जमशेदपुर एरिया बोर्ड - पूर्वी सिंहभूम में 50 टोले में बिजली नहीं, 132 आंशिक रूप से विद्युतीकृत, सरायेकला में 136 टोले आंशिक रूप से विद्यूुुतीकृत और पश्चिम सिंहभूम के 507 टोले में बिजली नहीं, 600 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण।
2. रांची एरिया बोर्ड - रांची में 511 टोले में आंशिक विद्युतीकरण, खूंटी का एक टोला बिजली से दूर, 68 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण, सिमडेगा के 552 टोले में आंशिक विद्युतीकरण, गुमला में 67 टोले में बिजली नहीं, 212 स्थानों पर आंशिक विद्युूतीकरण, लोहरदगा में 69 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण।
3. धनबाद एरिया बोर्ड - बोकारो में 158 और गिरिडीह में 157 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण।
4. गिरिडीह एरिया बोर्ड - गिरिडीह में 178 स्थानों पर बिजली नहीं, 209 जगहों पर आंशिक विद्युतीकरण, गोड्डा में 118 गांवों में बिजली नहीं, 295 जगहों पर आंशिक विद्युतीकरण, देवघर में 304 स्थानों में आंशिक विद्युतीकरण।
5. मेदिनिनगर एरिया बोर्ड - पलामू में 314 टोले में बिजली नहीं, 677 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण, लातेहार में 233 जगहों पर बिजली नहीं, 183 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण, गढ़वा में 408 स्थान विद्युतीकरण से दूर, 115 में आंशिक विद्युत।
6. हजारीबाग एरिया बोर्ड - कोडरमा में 239 और रामगढ़ में 169 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण, चतरा में 258 स्थानों में बिजली नहीं, हजारीबाग में 258 स्थान अविद्युतीकृत, 169 स्थानों पर आंशिक विद्युतीतकरण।
7. दुमका एरिया बोर्ड - दुमका में 222 जगहों पर विद्युतीकरण नहीं, जामताड़ा में 53 जगहों पर बिजली नहीं, पाकुड़ में 92 जगहों पर बिजली पहुंचाना बाकी, 21 स्थानों पर आंशिक विद्युतीकरण, साहिबगंज में 168 स्थानों पर बिजली नहीं, चार स्थान पर आंशिक बिजली।
बिहार-बंगाल से सटे गदाई दियारा को भी बिजली
झारखंड बिजली वितरण निगम के अधिकारियों की टीम के प्रयास से साहिबगंज के सुदूरवर्ती गदाई दियारा में बिजली पहुंच चुकी है। यहां तक बिजली पहुंचाने के लिए तमाम उपकरणों को नाव से ले जाया गया है। यह दियारा बिहार और बंगाल से सटा है, लिहाजा उन्हें बिजली आपूर्ति पर विचार किया जा रहा है। दोनों राज्यों ने झारखंड से बिजली की मांग की है।