जेलों में बंद कुख्यात सरगना आखिर कैसे अपनी समानांतर सत्ता चला रहे हैं?
एक प्रसिद्ध सर्जन का राज्य छोड़ना भाजपा का आरोप है कि धनबाद में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अपराधी खुलेआम व्यवसायियों से रंगदारी वसूल रहे हैं। अब उनके निशाने पर डाक्टर और इंजीनियर भी आ गए हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 06 May 2022 12:16 PM (IST)
रांची, प्रदीप शुक्ला। राज्य में सियासी हलचल के बीच धनबाद के एक प्रसिद्ध सर्जन डा. समीर द्वारा राज्य छोड़ कहीं और बसने के एलान ने राज्यभर के चिकित्सकों को ही नहीं झकझोरा है, बल्कि उनके इस निर्णय से आमजन में भी घोर निराशा है।
उन्हें खूंखार अपराधी अमन सिंह की तरफ से धमकी मिली है कि अगर वह अपनी और परिवार की जान की सलामती चाहते हैं तो एकमुश्त एक करोड़ रुपये और हर महीने पांच लाख रुपये की रंगदारी दें। डरे-सहमे चिकित्सक ने पच्चीस साल से चल रहे अपने क्लीनिक सुयश पर ताला जड़ दिया है। इसके बाद से धनबाद ही नहीं, पूरे राज्य के चिकित्सकों में उबाल है और नौ मई से सभी ने अपने क्लीनिक, नर्सिग होम बंद करने की चेतावनी दी है।
पहले से तमाम मुद्दों को लेकर गठबंधन सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही भाजपा भी मुखर है। इस एक घटना ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। जेलों में बंद कुख्यात सरगना आखिर कैसे अपनी समानांतर सत्ता चला रहे हैं? उन पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? क्या भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे जेल कर्मियों के चलते राज्य की जेलें इन अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गई हैं, जहां से वे बिना किसी डर-भय के गैर कानूनी, अनैतिक, अवैध गतिविधियां धड़ल्ले से संचालित कर रहे हैं?
डा. समीर का बंद पड़ा क्लीनिक। फाइलजेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है, लेकिन अब पानी सिर के ऊपर जा चुका है। राज्य में काम करने वाली कंपनियों से नक्सलियों और उनके समूहों द्वारा लेवी वसूलना आम बात है, लेकिन पिछले कुछ समय से जेलें भी संगठित अपराध का बड़ा अड्डा बनती जा रही हैं। गाहे-बगाहे दिखावटी छापे पड़ते हैं, पर वहां बंद बड़े अपराधियों तक कोई आंच नहीं पहुंचती है। वे बेखौफ हैं और उनके हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रांची, धनबाद और जमशेदपुर सहित तमाम अन्य शहरों में चिकित्सकों, कारोबारियों और उद्यमियों को धमकियां मिल रही हैं। रंगदारी देने से मना करने पर कुछ हत्याएं भी हो चुकी हैं। इससे राज्य में दहशत का माहौल है। राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में एक नामी चिकित्सक द्वारा क्लीनिक बंद कर राज्य छोड़ने की घोषणा ने हर किसी को झकझोर दिया है।
डा. समीर का धनबाद के बैंक मोड़ थाना क्षेत्र के मटकुरिया में क्लीनिक है। उन्होंने मंगलवार को अपने यहां भर्ती सभी मरीजों की छुट्टी कर उन्हें घर भेज दिया। बकौल डाक्टर, ‘25 वर्षो से जनता की सेवा कर रहा था। भगवान जानता है कि मैंने कभी मरीजों के इलाज में पैसे को अहमियत नहीं दी। जिसने जो दिया, रख लिया। हाथ में हुनर है, कहीं दूसरी जगह जाकर रोटी-रोजी का जुगाड़ कर लूंगा। मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं रंगदारी दे सकूं। मुङो अपनी और अपने परिवार की जान प्यारी है।’
संभवत: डा. समीर ने भारी मानसिक पीड़ा से गुजरने के बाद यह कदम उठाया है। कोई भी समझ सकता है कि अपना घर-बार, जमा-जमाया काम छोड़ दूसरी किसी जगह बसना कितना कष्टदायी होता है, लेकिन हालात बहुत बिगड़ गए हैं। अमन सिंह गैंग के खौफ के चलते धनबाद के अधिकांश बड़े चिकित्सकों ने अपने मोबाइल नंबर बदल लिए हैं। वाट्सएप से प्रोफाइल फोटो हटा लिया है। कई ने अपने फेसबुक प्रोफाइल को लाक कर लिया है। आइएमए सचिव डा. सुशील कुमार कहते हैं, चिकित्सक अपनी सुरक्षा के लिए जितना हो पा रहा है वह कर रहे हैं, लेकिन अब धनबाद रहने लायक नहीं है। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। धनबाद सदर के विधायक राज सिन्हा के आरोप और परेशान करने वाले हैं। विधायक कह रहे हैं कि उन्होंने डा. समीर के मामले में पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सीधे बात की थी। दोनों ने अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए पुलिस कप्तान को निर्देश दिए जाने की बात कही थी।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार से भी मिलकर उनको मौखिक और लिखित दोनों तरीकों से पूरी स्थिति की जानकारी दी गई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजा डा. समीर को लगातार काल कर रंगदारी मांगी गई। अंतत: थक हार कर डा. समीर ने शहर छोड़ने का एलान कर दिया। [स्थानीय संपादक, झारखंड]
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