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पॉलिटिकल 'परजीवी' बोलकर भिड़ीं झामुमो और आजसू, झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले जुबानी जंग तेज

Jharkhand Politics झारखंड में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट से पहले ही जुबानी जंग तेज हो गई है। इतना ही नहीं सियासी दल एक-दूसरे को पॉलिटिकल परजीवी बता रहे हैं। सोमवार को एक ओर जहां झामुमो के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आजसू और सुदेश महतो पर हमला बोला। वहीं इससे नाराज हुई आजसू ने भी करारा प्रहार किया।

By Pradeep singh Edited By: Yogesh Sahu Updated: Mon, 09 Sep 2024 11:30 PM (IST)
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झारखंड में 'परजीवी' पॉलिटिक्स! विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो-आजसू के बीच जुबानी जंग तेज

राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आजसू पार्टी प्रमुख सुदेश महतो को राजनीतिक परजीवी करार दिया है। सोमवार को पार्टी के महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इनकी फितरत सत्ता के साथ बने रहने की है।

2019 के विधानसभा चुनाव में ये अकेले लड़े तो दो सीटों पर सिमटकर रह गए। उनकी बैसाखी ने तब मना कर दिया था। उस समय वे नकार दिए गए। बाद में फिर सुलह हुई होगी। अब एक बार फिर युवाओं का नाम लेकर छल रहे हैं।

ये ज्यादा से ज्यादा पांच सीट पर लड़ेंगे और कहते फिर रहे हैं कि आगामी राज्य सरकार का खाका तय करेंगे। यह हकीकत नहीं, इनकी परिकल्पना है। ये सत्ता के साथ भी और सत्ता के बाद भी हर हाल में बने रहना चाहते हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य।

सुप्रियो ने उठाया सवाल

सुप्रियो ने सवाल उठाया कि हेमंत सरकार से ये इतना डरते क्यों हैं? दिक्कत इनको सरकार द्वारा हर तबके के लिए चलाई जा रही योजनाओं से है।

एक बार ऐसी भी परिस्थिति आई थी कि अभी भाजपा को गौरवान्वित कर रहे मधु कोड़ा की सरकार में इनके एक विधायक मंत्री बने और दूसरे विपक्ष में थे।

इसका मतलब यह है कि इनको सत्ता कहीं से छोड़ना नहीं है। आजसू एक संगठित राजनीतिक मोलभाव करने वाला समूह है। इनका जीवन दूसरे के साथ चिपककर चलता है।

सबसे बड़ा परजीवी झामुमो, पूरे झारखंड को चूस रहा : आजसू

इधर, आजसू प्रमुख सुदेश महतो को परजीवी बताने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा है कि सबसे बड़ा परजीवी तो झामुमो है, जो पूरे झारखंड को चूस रहा है।

आजसू प्रमुख सुदेश महतो।

बालू, कोयला, जमीन को लूटकर यह काम कर रहा है। जिसने कहा था कि उसकी लाश पर झारखंड बनेगा तथा जिस दल ने झारखंड आंदोलन को बेचने का काम किया, सत्ता के लिए उसके साथ मिल गया।

झामुमो को इतनी ताकत और हिम्मत हो गई है तो अकेले चुनाव लड़कर दिखा दे। कौन परजीवी है, यह उसे पता चल जाएगा। सच यह है कि झारखंड नवनिर्माण संकल्प में युवाओं के जुटान को देखकर झामुमो के लोग बौखला गए हैं।

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