Jharkhand Election: सत्ता में वापसी झामुमो की चुनौती, भाजपा भी लगाएगी पूरा जोर; आदिवासी सुरक्षित सीटों पर रहेगी नजर
झारखंड में विधानसभा चुनाव की आधिकारिक मंगलवार को हो गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर फिलहाल पूरे गठबंधन के नेतृत्व का दारोमदार है। हेमंत की चुनौती फिर से सत्ता में वापसी की होगी। उनके कंधे पर चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी होगी। वहीं भाजपा ने भी समय से पहले तैयारी आरंभ कर तगड़ी चुनौती दी है। आदिवासी सुरक्षित सीटें होगी सत्ता की चाबी।
राज्य ब्यूरो,जागरण, रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा भले ही मंगलवार को हुई है, लेकिन चुनावी बिसात पर शह-मात का खेल पिछले कई महीनों से जारी है। ईडी की कार्रवाई के कारण हेमंत सोरेन को पद छोड़ना पड़ा। वे लगभग पांच माह जेल में रहे। जेल से वापस आने के बाद उन्हें अपने दल में उथल-पुथल का अहसास हुआ। समय रहते उन्होंने फिर मुख्यमंत्री बनने का निर्णय किया।
हेमंत की चुनौती फिर से सत्ता में वापसी की होगी
कुछ समय के बाद उनके विश्वस्त रहे पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन दल छोड़कर चले गए। हेमंत पर फिलहाल पूरे गठबंधन के नेतृत्व का दारोमदार है। सहूलियत के लिहाज से वे साथी दलों कांग्रेस, राजद और वामदलों के साथ सीट बंटवारे पर समझौता करेंगे। हेमंत की चुनौती फिर से सत्ता में वापसी की होगी। उनके कंधे पर चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी होगी।
भाजपा ने भी समय से पहले तैयारी आरंभ कर तगड़ी चुनौती दी है। विपरीत परिस्थितियों में जीत दिलाने में माहिर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को राज्य में पार्टी के चुनाव की कमान सौंपने से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा राज्य में सत्ता हासिल करने को लेकर किस कदर गंभीर है। दोनों नेताओं ने सधे हुए कदमों से चाल चली और कई मुद्दे उठाए।
योजनाओं का लाभ वोट में दिखेगा
इधर, हेमंत ने जब मंइयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं के लिए मासिक एक हजार रुपये की स्कीम लांच की तो भाजपा ने उसपर पलटवार करते हुए सत्ता में आने पर गोगो दीदी योजना के जरिए 2100 रुपये प्रतिमाह का वादा कर दिया। इसपर एक कदम आगे बढ़ते हुए हेमंत ने मंइयां सम्मान योजना की राशि बढ़ाकर 2500 रुपये करने का एलान किया। इस बार भाजपा ने आजसू पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा (रामविलास) को भी सीटें देने की घोषणा की है।
आदिवासी सुरक्षित सीटें होगी सत्ता की चाबी
राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमोनीत गठबंधन ने इसमें से 26 सीटों पर कब्जा कर बढ़त बनाने में कामयाबी हासिल की थी। भाजपा सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी। भाजपा के लिए चुनौती बरकरार है। इसकी वजह हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव का परिणाम है, जिसमें सभी पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। सभी सीटें झामुमो-कांग्रेस की झोली में आई।पिछले विधानसभा चुनाव में 14 सीटों वाले कोल्हान में भाजपा खाता नहीं खोल पाई थी। इस बार कोल्हान में चम्पाई सोरेन पर दल को भरोसा है। संताल में भी भाजपा ने सेंधमारी की कोशिश करते हुए घुसपैठ का मुद्दा उठाया है। संताल परगना में 18 सीटें हैं, जिसमें से 14 पर झामुमो-कांग्रेस काबिज है।
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