'कौन थे वह दो विधायक....' JMM ने राज्यपाल पर कर दी सवालों की बौछार; BJP ने पूछ ली हेमंत सोरेन के गायब होने वाली बात
झामुमो ने शुक्रवार को एक बार फिर निशाने पर लिया। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा का काम राज्यपाल क्यों कर रहे हैं। राज्यपाल चम्पाई सरकार बनाने को लेकर स्पष्टीकरण दे रहे हैं लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि पूर्व सीएम के इस्तीफे से लेकर सरकार गठन के बीच राज्य का कार्यपालक कौन था?
राज्य ब्यूरो, रांची।सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने शुक्रवार को एक बार फिर राजभवन को अपने निशाने पर लिया। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा का काम राज्यपाल क्यों कर रहे हैं?
सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल चम्पाई सरकार बनाने को लेकर स्पष्टीकरण दे रहे हैं, लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि पूर्व सीएम के इस्तीफे से लेकर सरकार गठन के बीच राज्य का कार्यपालक कौन था?
वर्तमान CM ने जब सरकार बनने का दावा किया तो...
झामुमो महासचिव ने कहा कि वर्तमान सीएम ने जब सरकार बनने का दावा किया तो, राज्यपाल उसे अस्वीकार करते हुए अपने कक्ष में चले गए। उसके 15 मिनट बाद आकर उन्होंने चम्पाई सोरेन का दावा स्वीकार कर लिया।
सुप्रियो ने आगे कहा कि राज्यपाल के प्रधान सचिव से दूसरे दिन फोन पर बात की गई तो, उन्होंने बाद में सूचित करने की बात कही। दोबारा समय मांगने पर गठबंधन के पांच नेताओं को मिलने की अनुमति दी गई। 10 बजे रात में चम्पाई सोरेन को सीएम पद के लिए शपथ लेने को कहा गया।
दूसरे दिन भी रात का इंतजार क्यों हुआ?
उन्होंने पूछा कि राज्यपाल को बताना चाहिए कि दूसरे दिन भी रात का इंतजार क्यों हुआ? एक दिन से अधिक समय तक राज्य का कार्यपालक कौन था? 81 सदस्यीय विधानसभा में 49 विधायकों के समर्थन के बाद भी उन्हें कानूनी विमर्श लेना पड़ा।
राज्यपाल बिहार का उदाहरण दे रहे हैं। बिहार में सबसे बड़े दल की जगह तीसरे नंबर के दल को बुला लिया गया, लेकिन यहां बहुमत वाले दल को नहीं बुलाया गया। राज्यपाल बताएं कि वह कौन दो विधायक थे, जो बोल रहे थे कि वे हैदराबाद नहीं जा रहे हैं।
40 घंटे तक किसके भरोसे था राज्य - भाजपा
भाजपा ने झामुमो के आरोपों पर पलटवार किया है। प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का लगभग 40 घंटे तक पता नहीं चल पा रहा था तो राज्य किसके भरोसे था? संवैधानिक संकट की स्थिति झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने पैदा की थी।
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसी घटना घटित हुई। इस दौरान पूर्व सीएम अपने राज्य के किसी भी अधिकारी के संपर्क में नहीं थे। झारखंड में तो सिर्फ 'भागम भाग' का खेल चल रहा है। जब इनके पास बहुमत से ज्यादा विधायक थे और प्रदेश में इनकी ही सरकार थी तो हैदराबाद के राजनीतिक पर्यटन की आवश्यकता समझ से परे है।
प्रतुलदेव ने कहा कि राज्यपाल ने विधिसम्मत निर्णय लिया। राजभवन ने चम्पाई सोरेन के सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद असामान्य परिस्थितियों के बीच गहन विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया। अब इस पर भी झामुमो को आपत्ति है।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के दिल्ली आवास से बीएमडब्ल्यू की रिकवरी पर अभी तक झामुमो और कांग्रेस रहस्यमय तरीके से खामोश हैं। क्या इतनी घनिष्ठता थी कि धीरज साहू अपनी गाड़ी हेमंत के गैरेज में रख रहे थे और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपना पैसा धीरज साहू के घर रख रहे थे? धीरज साहू के ठिकानों से बरामद पैसे की भी जांच हो कि वह किसका था।
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