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चंपई सोरेन की जगह 'डैमेज कंट्रोल' के लिए JMM के पास हैं कई कद्दावर नेता, कोल्हान प्रमंडल में रखते हैं मजबूत पकड़

Jharkhand Politics झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पास कोल्हान प्रमंडल के लिए कई बड़े नेता हैं जो कि चंपई सोरेन की जगह लेने में सक्षम हैं। ये नेता ऐसे हैं जो उनकी जगह होने वाले डैमेज को कंट्रोल कर सकते हैं। इन नेताओं में जोबा मांझी दीपक बिरुवा से लेकर रामदास सोरेन और सुखराम उरांव दशरथ गगराई जैसे कद्दावर नेता का नाम शामिल है।

By Pradeep singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 19 Aug 2024 06:35 PM (IST)
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झामुमो के पास चंपई सोरेन की जगह लेने के लिए हैं कई चेहरे

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पास कोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन की टक्कर के कई नेता हैं, जो उनकी जगह भरकर डैमेज कंट्रोल कर सकते हैं।

वरीयता, दलीय प्रतिबद्धता और शिबू सोरेन परिवार से काफी पुराना संबंध रहने के कारण चंपई सोरेन को झामुमो के शीर्ष नेतृत्व ने उस वक्त आगे बढ़ाया, जब हेमंत सोरेन को विपरीत परिस्थितियों में जेल जाना पड़ा था।

चंपई सोरेन की अनुपस्थिति में अपने अभेद्य गढ़ कोल्हान का राजनीतिक मैदान झामुमो आसानी से नहीं छोड़ेगा। इसकी वजहें भी हैं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद चंपई सोरेन का कद भले ही बड़ा हुआ हो, लेकिन ऐसे जमीनी नेताओं की सूची है, जो इस इलाके में अपने गढ़ को बचाए और बनाए रखने में कारगर साबित हो सकते हैं।

कौन-कौन से बड़े चहरे हैं सीएम सोरेन के पाले में 

जोबा मांझी, दीपक बिरुवा से लेकर रामदास सोरेन और सुखराम उरांव, दशरथ गगराई जैसे कद्दावर नेता हेमंत सोरेन के पास हैं।

जोबा मांझी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में सिंहभूम संसदीय सीट से गीता कोड़ा को हराकर सबको चौंकाया, तो इसकी वजह इस क्षेत्र में झामुमो का व्यापक प्रभाव है।

दीपक विरुवा हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री हैं और वैचारिक तौर पर झामुमो की हार्ड लाइनर छवि का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। जनजातीय समुदाय से संबंधित विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। वे चाईबासा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इसी कड़ी में रामदास सोरेन भी हैं। रामदास सोरेन को संगठन का व्यापक अनुभव है। वे घाटशिला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और जनमानस पर पकड़ रखते हैं।

सुखराम उरांव चक्रधरपुर के विधायक हैं और उनके ऊपर संगठन की भी जिम्मेदारी है। उनका प्रभाव क्षेत्र भी बड़ा है। दशरथ गगराई खरसावां का प्रतिनिधित्व करते हैं। पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को यहां से परास्त कर वे सुर्खियों में आए थे। वे वहां से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इन नेताओं में एक समानता यह भी है कि झारखंड पृथक राज्य के आंदोलन में भी इनकी सक्रियता रही है।

इसके अलावा महतो बहुल ईचागढ़ से सविता महतो विधायक हैं। सविता महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय निर्मल महतो के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सविता महतो के पति स्वर्गीय सुधीर महतो झामुमो की अग्रिम कतार के नेताओं थे। वे राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रहे।

कम नहीं होंगी चंपई सोरेन की चुनौती

चंपई सोरेन के समक्ष भी आगे कम चुनौती नहीं होगी। कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा का पिछले चुनाव में खाता तक नहीं खुल पाया था। जमशेदपुर की शहरी सीटें भी भाजपा के हाथ से निकल गई थी।

जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन सीएम रघुवर दास चुनाव हार गए थे। चंपई सोरेन के पाला बदलने का प्रभाव भी आसन्न विधानसभा चुनाव में दिख जाएगा। हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व झामुमो के जिन दो नेताओं गीता कोड़ा और सीता सोरेन ने पाला बदलकर चुनाव लड़ा, वे स्वयं चुनाव हार गईं।

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