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Jharkhand Politics: चंपई ने चल दी अपनी 'चाल', अब हेमंत सोरेन की बारी; पल-पल बदल रही सियासी पिक्चर

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीति बनाई है। पार्टी संगठन को मजबूत करने और चंपई सोरेन के गृहक्षेत्र सरायकेला में सक्रियता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हेमंत सोरेन सरकार के मंत्री और सांसद इस अभियान में शामिल हैं।

By Pradeep singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 19 Sep 2024 07:14 PM (IST)
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बीजेपी नेता चंपई सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)

प्रदीप सिंह, रांची। भाजपा में शामिल हुए राज्य के पूर्व सीएम चंपई सोरेन (Champai Soren) के असर को कम करने के लिए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने उपाय तेज कर दिए हैं। सधी रणनीति के तहत झामुमो के रणनीतिकार इसे अंजाम दे रहे हैं। किसी भी स्तर से चंपई सोरेन का नाम लेकर आक्रमण करने से जहां बचा जा रहा है, वहीं यह प्रयास हो रहा है कि संगठन की मजबूती बरकरार रहे।

झामुमो को इसमें सफलता भी मिली है। चंपई सोरेन के भाजपाई होने के बावजूद दल का कोई बड़ा चेहरा उनके साथ नहीं गया। आरंभ में इसके कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसे समय रहते की गई कवायद का परिणाम बताया जाता है। हालांकि, सेंधमारी की कोशिश बड़े पैमाने पर हुई थी।

चंपई के इलाके में बड़ा 'खेल' करने की तैयारी

अब झामुमो ने नए सिरे से चंपई सोरेन के गृहक्षेत्र सरायकेला में कोल्हान प्रमंडल के तमाम कद्दावर नेताओं को उतारा है। ये नेता क्षेत्र में कैंप कर उन मोर्चों को दुरुस्त कर रहे हैं, जहां काम करने की आवश्यकता थी। इसमें सफलता भी मिल रही है। हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री रामदास सोरेन और दीपक बिरुवा समेत सिंहभूम की सांसद जोबा मांझी और स्थानीय विधायकों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

शीर्ष नेतृत्व स्वयं इसकी देखरेख कर रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने हाल ही में स्थानीय कमेटी के साथ रांची में बैठक की थी, जिसमें उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर फीडबैक भी लिया और इसी लिहाज से रणनीतिकारों को निर्देश दिए। झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय लगातार इसपर नजर रख रहे हैं।

आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुखों संग तालमेल भी

चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होने के बाद लगातार भावनात्मक मुद्दों को उछाल रहे हैं। उनके निशाने पर आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख हैं। दल छोड़ने के बाद उन्होंने इसे आजमाया। हाल ही में संताल परगना के दौरे पर भी उन्होंने ऐसे प्रमुखों के मन टटोले।

झामुमो को आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुखों के महत्व का अहसास है। इनकी पैठ समाज में काफी गहरी है। इन्हें जोड़े रखने के लिए तालमेल और समन्वय तेज किया गया है। राज्य सरकार ने इनके लिए कई योजनाएं भी लागू की हैं।

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