भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा के शपथपत्र पर झामुमो ने सवाल खड़ा किया है। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का दावा है कि वर्मा ने नामांकन के शपथपत्र में तथ्य छिपाए हैं। साथ ही संपत्ति के ब्योरे में भी कई जानकारियां छिपाई है। उन्होंने कहा कि वर्मा ने रघुवर काल में बड़ी संपत्ति अर्जित की। साल 2000 के बाद से उनकी संपत्ति में इजाफा हुआ।
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा के शपथपत्र पर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सवाल उठाए हैं। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया है कि वर्मा ने नामांकन के शपथपत्र में तथ्य छिपाए हैं। साथ ही संपत्ति के ब्योरे में भी कई जानकारियां छिपाई है।
2000 के बाद से बढ़ी वर्मा की संपत्ति: झामुमो
सुप्रियो ने कहा कि प्रदीप वर्मा की संपत्ति उत्तर प्रदेश से लेकर कहां-कहां है, इसके सारे दस्तावेज झामुमो के पास है। लोकसभा चुनाव के बाद झामुमो चुनाव आयोग में जाकर सभी कागजात प्रस्तुत कर उनके निर्वाचन को चुनौती देगा।
उन्होंने कहा कि बिरला के फर्म की चाकरी के नाम पर प्रदीप वर्मा रांची आए। उनके हाॅस्पिटल और स्कूल के प्रबंध निदेशक के तौर पर काम शुरू किया और केयर टेकर भी रहे। वर्ष 2000 के बाद जिस प्रकार से वर्मा की संपत्ति बढ़ी, वह अप्रत्याशित है।
वर्मा के पास है फार्म हाऊस, एक फ्लैट: झामुमो
प्रदीप वर्मा ने रघुवर काल में बड़ी संपत्ति अर्जित की। उनके पास कई संपत्ति ऐसी है, जिनका उल्लेख डा. प्रदीप वर्मा के शपथपत्र में नहीं है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रांची के अनगड़ा थाना क्षेत्र के महशेपुर में डा. प्रदीप वर्मा का एक फार्म हाऊस है।
इसके अलावा रांची के खेलगांव में उनका एक फ्लैट भी है, जिसका नागार्जुन कंपनी के साथ करार का पेपर मौजूद है। रांची के पंडरा के पास स्थित एक फ्लैट के भी वह मालिक हैं। इसके अलावा रांची के सरला बिरला स्कूल परिसर के अंदर प्रदीप वर्मा की दवाई दुकान है। उनके कई एनजीओ भी हैं।
साथ ही रांची के अरगोड़ा, धनबाद, आजमगढ़ में कई भूखंड हैं। आजमगढ़ में एक शानदार महल भी है। प्रदीप वर्मा के किसी भी डीड में आजमगढ़ का पता नहीं दिया गया है। कहीं महिलौंग का पता है तो कहीं रांची के आरा गांव का पता है। कुछ जगह रांची के पुरूलिया रोड का भी पता दिया गया है।
दस्तावेज में पिता के नाम अलग-अलग
इतना ही नहीं, दस्तावेज में कही पिता का नाम रामअवतार प्रसाद, कहीं रामअवतार कुमार प्रसाद और कहीं रामअवतार वर्मा लिखा गया है।
निशिकांत बताएं, हरियाणा में सीएम कैसे बना गैर विधायक
सुप्रियो भट्टाचार्य ने गोड्डा के भाजपा सांसद से कहा है कि उन्हें बताना चाहिए कि हरियाणा में गैर विधायक को कैसे मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि झारखंड में कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने को लेकर उन्होंने सवाल उठाए थे। कहा था कि वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकती हैं, क्योंकि जहां पर एक वर्ष या एक वर्ष से कम का कार्यकाल बचा है, वहां उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है।
गोड्डा सांसद को अपने नेताओं से यह सवाल पूछना चाहिए कि हरियाणा में कैसे एक गैर विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया गया? भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए हरिहर महापात्रा को भाजपा ने मैदान में उतारने की कोशिश की थी ताकि अन्य राज्यों की तरह यहां भी खेल किया जा सके। वे अपने लक्ष्य में असफल हो गए।
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