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Jharkhand Election: झामुमो में डैमेज कंट्रोल की कवायद, हेमंत 'अभेद्य गढ़' की मजबूत किलेबंदी के लिए मैदान में उतरे

Jharkhand Election Politics झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति तेज होती जा रही है। झामुमो से पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के जाने के बाद कोल्हान-संताल की सियासत गरमा गई है। ऐसे में अब डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। झामुमो नहीं चाहता कि आने वाले चुनावों में उसे कोई नुकसान उठाना पड़े।

By Pradeep singh Edited By: Yogesh Sahu Updated: Mon, 09 Sep 2024 03:58 PM (IST)
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Jharkhand Politics: झारखंड में झामुमो का गढ़ बचाने के लिए हेमंत सोरेन खुद मैदान में उतर आए हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख गढ़ कोल्हान प्रमंडल में पार्टी के रणनीतिकार अपनी किलेबंदी को अधिकाधिक मजबूत करने में जुटे हैं।

इसकी वजह झामुमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का पाला बदलकर भाजपाई हो जाना है। उनकी भाजपा में एंट्री के बाद झामुमो विशेष सतर्कता बरत रहा है।

भाजपा की रणनीति चंपई सोरेन को आगे कर कोल्हान प्रमंडल में सेंधमारी की है। झामुमो ने चंपई सोरेन के बदलते रुख को देखते हुए आरंभ में ही डैमेज कंट्रोल की कवायद की।

इसका परिणाम यह हुआ कि तमाम अटकलों के बावजूद दल का एक भी विधायक उनके साथ नहीं गया। इसके अलावा संगठनात्मक मोर्चे पर भी झामुमो को सफलता मिली।

पार्टी का कोई बड़ा चेहरा चंपई सोरेन के साथ नहीं गया। अब झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है।

खासतौर पर सरायकेला-खरसावां जिला समिति के प्रमुख नेता इसी मुहिम के तहत राजधानी बुलाए गए। हेमंत सोरेन ने उनसे बातचीत की। यह संदेश दिया कि संगठन सबसे ऊपर है और कार्यकर्ता ही असली पूंजी है।

निर्देश दिया गया कि चुनाव में पूरी मजबूती के साथ उतरें। इससे स्थानीय नेताओं का मनोबल बढ़ा है। किसी भी परिस्थिति में झामुमो का शीर्ष नेतृत्व कोल्हान प्रमंडल से अपना असर कम होने देना नहीं चाहता तो इसकी वजह यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में इस प्रमंडल में भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था। चंपई सोरेन को उनके गढ़ में ही पटखनी देने के लिए ठोस रणनीति पर झामुमो का शीर्ष नेतृत्व काम कर रहा है।

संताल परगना में भी समान रणनीति पर काम

कोल्हान की तरह संताल परगना प्रमंडल भी झामुमो का मजबूत गढ़ है। पिछले लोकसभा चुनाव में इसकी बानगी देखने को मिली थी।

भाजपा के कब्जे वाली दुमका सीट वापस लेने में झामुमो जहां कामयाबी रहा, वहीं राजमहल सीट पर कब्जा बरकरार रखा।

पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमोनीत गठबंधन ने इस प्रमंडल की 18 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की थी।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के पहले सीता सोरेन को अपने पाले में लाने में कामयाबी पाई थी, लेकिन वह चुनाव हार गईं।

आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए संताल परगना में अपना प्रदर्शन दोहराने के लिए झामुमो के रणनीतिकार पूरी गंभीरता से लगे हुए हैं।

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