Jharkhand News: राणा संग्राम सिंह के बेटे की हत्या में तीन दोषी, 21 को होगी सजा
राणा संग्राम सिंह के बेटे जसवंत सिंह की हत्या के मामले में अदालत ने उनके चचेरे भाई के दामाद अमर सिंह चचेरे भाई वंश नारायण सिंह और उनके बेटे रणधीर सिंह को दोषी करार दिया है। मामला नौ साल पुराना है। अब फैसला सुनाया गया है। तीनों की सजा पर फैसला 21 सितंबर को होगा। इस केस में एक आरोपी ओम प्रकाश उर्फ गुड्डू को बरी कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, रांची। इंटक के राष्ट्रीय वरीय सचिव व एचईसी के श्रमिक नेता दिवंगत राणा संग्राम सिंह के पुत्र ठाकुर जसवंत सिंह हत्याकांड में अदालत ने उनके चचेरे भाई के दामाद अमर सिंह, चचेरे भाई वंश नारायण सिंह एवं उसके पुत्र रणधीर सिंह को दोषी करार दिया है। फैसला घटना के नौ साल बाद आया है।
तीनों की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तिथि निर्धारित की गई है। अपर न्यायायुक्त योगेश कुमार सिंह की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए इस मामले में एक आरोपित ओम प्रकाश उर्फ गुड्डू को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
ठाकुर जसवंत सिंह का पैतृक आवास बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया स्थित बसंतपुर में है। वहीं, राणा संग्राम सिंह का हाल ही में रांची में निधन हुआ है। अमर सिंह वर्तमान में रामगढ़ जेल में बंद है। फैसले के दौरान उसे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया था।
मामले में अभियोजन की ओर से एपीपी सिद्धार्थ सिंह ने बहस की थी। साथ ही सूचक की ओर से अधिवक्ता रोहित रंजन प्रसाद एवं दीपक कुमार ने सहयोग किया। वहीं बचाव पक्ष की ओर से बाहर के वकील ने पक्ष रखा था। दोषी करार पिता-पुत्र जमानत पर थे, जबकि अमर सिंह घटना के बाद से ही लगातार जेल में ही है।
दोषी पाए जाने के बाद वंश नारायण सिंह एवं रणधीर सिंह को न्यायिक हिरासत में लेते हुए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया है। अदालत ने 28 अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद 11 सितंबर फैसले की तिथि तय की थी।
क्या है पूरा मामला
हत्या की यह घटना जमीन और बस चलाने के विवाद से जुड़ी है। नौ अक्टूबर 2015 को रांची के धुर्वा थाना क्षेत्र के वीर कुंवर सिंह चौक के पास सुबह लगभग आठ बजे हत्यारोपितों ने जसवंत सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी।
घटना के वक्त जसवंत मार्निंग वाक के निकले हुए थे, जबकि अभियुक्त पहले से ही वहां घात लगाकर बैठे थे। हमले में जसवंत सिंह के भाई राणा प्रताप सिंह भी घायल हो गए थे। घटना को लेकर धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
घटना के बाद अमर सिंह और उसके चालक रमेश कुमार को गिरफ्तार किया गया, जबकि वंश नारायण सिंह एवं रणधीर सिंह फरार हो गए थे। लगभग दो साल बाद दोनों की गिरफ्तारी हो सकी थी।
बेटे को न्याय दिलाने के लिए रहे तत्पर
फैसला आने के पहले ही राणा का हो गया निधन राणा संग्राम सिंह अपने बेटे और परिवार को न्याय दिलाने के साथ हत्यारे को सजा दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रहे। वह मामले में जल्द से जल्द फैसला चाहते थे, लेकिन फैसला आने में नौ साल का लंबा समय लग गया।
28 अगस्त को फैसले की तारीख 11 सितंबर तय कर दी गई थी, लेकिन फैसला आने से चार दिन पहले सात सितंबर को उनका निधन हो गया। फैसले के दिन मृतक के परिवार के भाई, जीजा समेत परिवार के कई सदस्य मौजूद थे।
फैसले से संतुष्ट
लीलाधर सिंह जसवंत सिंह के बहनोई लीलाधर सिंह ने फैसला आने पर कहा कि थोड़ा विलंब हुआ, लेकिन अदालत ने जो फैसला सुनाया, उससे संतुष्ट हैं।
अभियुक्तों ने एक हंसता-खेलता परिवार के अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी जसवंत सिंह को गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस समय परिवार पर बहुत बड़ा विकट संकट खड़ा हो गया था।