ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने बनवाया था टैगोर हिल पर ब्रह्म मंदिर, 4 को मनाई जाएगी पुण्यतिथि
Ranchi Jharkhand Hindi News ब्रह्म मंदिर टैगोर हिल परिसर की देखरेख में लगी सोसाइटी एसपीटीएन के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने बताया कि ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर 1884 में अपनी पत्नी द्वारा आत्महत्या करने के बाद वैरागी हो गए थे।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Wed, 03 Mar 2021 01:50 PM (IST)
रांची, जासं। Ranchi Jharkhand Hindi News रांची के मोरहाबादी में टैगोर हिल पर ब्रह्म मंदिर व शांति धाम रवींद्रनाथ टैगोर के अग्रज ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने बनवाया था। यहीं पर उन्होंने 1924 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा मराठी में लिखित मराठी गीता रहस्य नामक पुस्तक का बांग्ला में अनुवाद भी किया था। चार मार्च 1925 को उन्होंने यहीं पर अंतिम सांस ली थी। यहां उनकी पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन होगा।
ब्रह्म मंदिर टैगोर हिल परिसर की देखरेख में लगी सोसाइटी एसपीटीएन के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने बताया कि ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर 1884 में अपनी पत्नी द्वारा आत्महत्या करने के बाद वैरागी हो गए थे और मोरहाबादी आकर उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया और यहीं रहने लगे। चार मार्च को आयोजित होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम को स्प्रिंग उत्सव का नाम दिया गया है। यह स्प्रिंग उत्सव तीन दिन चलेगा।
टैगोर हिल रांची के अलबर्ट एक्का चौक से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यह पहाड़ी समुद्र तल से 300 फीट की ऊंचाई पर है। ज्योतिंद्रनाथ ने इस पहाड़ी को स्थानीय जमींदार हरिहर सिंह से 1908 में खरीदा था। गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के भाई ज्योतिरींद्र नाथ टैगोर की यादगार विरासत टैगोर हिल रांची की एक धरोहर बन गया है। पहाड़ी के शीर्ष पर मुख्य मंडप यानि ब्रह्मा स्थल है। पहाड़ी के चोटी पर रांची शहर का अद्भुत नजारा दिखता है।
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