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Kalpana Soren : विधानसभा चुनाव से पहले कल्पना को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी! तैयारी में JMM, सियासी हलचल तेज

Kalpana Soren लोकसभा चुनाव खत्म होते ही झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। सभी दलें अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। ऐसे में झामुमो भी अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लेकर लगातार पार्टी मं मंथन जारी है। इधर चुनाव से पहले कल्पना को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना जताई जा रही है।

By Pradeep singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Mon, 24 Jun 2024 10:07 AM (IST)
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Kalpana Soren : विधानसभा चुनाव से पहले कल्पना को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी! (फोटो- एक्स)
राज्य ब्यूरो, रांची। Kalpana Soren पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने काफी कम समय में राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। राष्ट्रीय मंचों पर उनकी उपस्थिति से राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन को नया स्टार प्रचारक मिला है। कल्पना सोरेन ने विपरीत परिस्थितियों में राजनीति में कदम रखा था।

पति की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने कमान संभालने का निर्णय किया। छोटे राजनीतिक सफर में उन्होंने बड़ा मुकाम हासिल किया है। अब वे अपनी राजनीतिक जमीन को और पुख्ता करने में जुट गई हैं। वह लगातार गिरिडीह में कैंप कर रहीं हैं। इसी जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र से वह निर्वाचित हुई हैं।

लोकसभा चुनाव के साथ संपन्न हुए विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की। कल्पना सोरेन ने इस दौरान ना सिर्फ हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में बेहतर कार्य कर दिखाया, बल्कि आगे भी उनमें अपार संभावनाएं हैं।

कल्पना सोरेन को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी

यही वजह है कि सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की भी तैयारी चल रही है। केंद्रीय समिति में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। मोर्चा में उन्हें केंद्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव का पद दिया जा सकता है।

कल्पना सोरेन फिलहाल अपने विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा समय देकर जमीनी स्थिति को पुख्ता कर रहीं हैं। यह इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि संताल परगना क्षेत्र में सोरेन परिवार की राजनीतिक विरासत है। पहली बार इससे अलग हटकर कल्पना सोरेन ने गिरिडीह जिले की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट पर परचम लहराया है।

उनकी क्षेत्र में मौजूदगी से गिरिडीह और उसके आसपास के क्षेत्र में भी सत्तारूढ़ गठबंधन की किलेबंदी मजबूत होने के आसार है। मोर्चा की रणनीति इसी के इर्द-गिर्द है ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ मिल सके।

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