कांके में जमीन घोटाला: ACB जांच में भी कांके अंचल के तत्कालीन अधिकारियों-कर्मियों पर लगे आरोप मिले सही
Kanke Land Scam रांची जिले के कांके अंचल स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे जुमार नदी और उसके आसपास की सरकारी जमीन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की प्रारंभिक जांच (पीई) के बाद अब प्राथमिकी की तैयारी है।
By Vikram GiriEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 08:51 AM (IST)
रांची [दिलीप कुमार]। रांची जिले के कांके अंचल स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे जुमार नदी और उसके आसपास की सरकारी जमीन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की प्रारंभिक जांच (पीई) के बाद अब प्राथमिकी की तैयारी है। इस बहुचर्चित जमीन घोटाले में एसीबी की प्रारंभिक जांच में कांके अंचल के तत्कालीन अधिकारी व कर्मियों पर लगे आरोप सही मिले हैं। अब एसीबी प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में यह विचार कर रहा है कि कांके थाने में दर्ज प्राथमिकी को ही टेकओवर करेगा या इस मामले में नया प्राथमिकी दर्ज करना होगा। दोनों ही विकल्प विधि सम्मत है। इसके लिए सरकार से अनुमति मांगी जा रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर एसीबी ने गत वर्ष 24 दिसंबर को पीई दर्ज किया था। इसमें कांके अंचल के तत्कालीन अंचलाधिकारी अनिल कुमार, राजस्व कर्मचारी व अन्य कर्मियों की भूमिका की जांच की गई तो उनपर लगे अनियमितता के आरोपों की पुष्टि हुई। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया था कि इस सरकारी जमीन और जुमार नदी की जमीन को भरवाने में अंचल के अधिकारियों-कर्मियों की जमीन माफिया से मिलीभगत के बिंदु पर जांच पूरी कर रिपोर्ट दें। एसीबी ने पीई जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंपते हुए मंतव्य के साथ प्राथमिकी के लिए अनुमति मांगी है।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में पहले ही रांची के उपायुक्त की रिपोर्ट के बाद कांके अंचल के तत्कालीन अंचलाधिकारी अनिल कुमार को दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया था। लोकायुक्त के आदेश पर भी रांची जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में सभी दोषी मिले थे।
दैनिक जागरण ने सबसे पहले उठाया था जमीन घोटाले का मामलादैनिक जागरण ने सरकारी जमीन घोटाले से संबंधित यह मामला सबसे पहले उठाया था। इसमें उजागर किया गया कि कांके लॉ कॉलेज से सटे रिंग रोड के किनारे करीब 25 एकड़ जमीन को प्लॉटिंग कर बेचने की तैयारी की जा रही है। साथ ही जमीन माफिया द्वारा जुमार नदी के किनारे मिट्टी डालकर भरने एवं जेसीबी से समतल करने का कार्य किया जा रहा है। यहां लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजररूआ प्रकृति की है, जिसमें 20.20 एकड़ भूमि खतियान में नदी के रूप में दर्ज है।
दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद रांची के उपायुक्त ने अपर समाहर्ता, भू हदबंदी से इसकी जांच कराई। अपर समाहर्ता ने जांच के बाद उपायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि यहां के खाता संख्या के अंतर्गत आने वाले कुछ प्लॉट बकास्त भूइहरी जमीन खतियान में दर्ज है और खाता संख्या 142 प्लॉट संख्या 2309 गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की भूमि है, जो बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए अर्जित है। लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की है।
नदी के रूप में दर्ज 20.20 एकड़ जमीन के अंश भाग पर रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार द्वारा मिट्टी भरवाकर समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा है। उपायुक्त ने जिला प्रशासन द्वारा इस जमीन घोटाले की कराई गई जांच रिपोर्ट भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग को सौंपी। इसमें जिक्र है कि जमीन माफिया द्वारा सरकारी जमीन के अतिक्रमण में कांके अंचल के अंचल पदाधिकारी अनिल कुमार की संलिप्तता है।
सरकारी जमीन का संरक्षण होने के बावजूद भी अंचल अधिकारी द्वारा सरकारी जमीन और नदी को भरने के मामले को नजरअंदाज करना उनके इस घोटाले में शामिल होने को इंगित करता है। इतना ही नहीं, कांके अंचल अधिकारी द्वारा गत वर्ष 10 नवंबर को ई-मेल के माध्यम से प्रतिबंधित भूमि की जो सूची उपलब्ध कराई गई है, उसमें उपरोक्त सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूची में नहीं डाला गया है, जिसमें भू माफियाओं द्वारा कब्जा किया जा रहा है।
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