Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Ayodhya Ram Mandir: अस्तित्‍व पर सवाल उठाने वाले खुद उठ गए... आंदोलन के दौरान इतने दिन जेल में बिताए यह कारसेवक, सुनाई अनकही दास्‍तां

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसे लेकर पूरे देश में उत्‍सव का माहौल है। पांच सौ वर्षों के राम मंदिर आंदोलन में हैदरनगर के लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई है। कारसेवक सरयू प्रसाद गुप्ता ने एक महीना व आठ दिन का समय जेल में बिताया था। वह प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह को लेकर बेहद उत्‍साहित हैं।

By Hydernagar Palamu Edited By: Arijita Sen Updated: Mon, 15 Jan 2024 02:10 PM (IST)
Hero Image
हैदरनगर से कारसेवा में भाग लेने वाले में सरयू प्रसाद गुप्ता।

हिमांशु तिवारी, हैदरनगर (पलामू)। श्री धाम अयोध्या में राम मंदिर निर्माण व प्रभु श्री राम प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। पूरा देश राममय हो गया है। 22 जनवरी को आराध्य श्रीराम भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। पांच सौ वर्षों के राम मंदिर आंदोलन में हैदरनगर के लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई है। हैदरनगर से कारसेवा में भाग लेने वाले में सरयू प्रसाद गुप्ता का मुख्य नाम में से एक है। जब भी हैदरनगर में कारसेवकों का जिक्र किया जाता है, तो सरयू प्रसाद गुप्ता के राम के भक्ति को अक्सर याद किया जाता है।

4 दिसंबर को हैदरनगर से निकले थे कारसेवक

उन्होंने विवादित ढांचा विध्वंस में अहम योगदान दिया। गिरफ्तार भी हुए। उतर प्रदेश की पुलिस के बर्बरता के शिकार भी हुए। पुलिस की पिटाई से गंभीर रूप से जख्मी हुए। एक महीना आठ दिन जेल में बिताई।

उन्होंने अपने संस्मरण में बताया कि 4 दिसंबर को हैदरनगर से कारसेवा करने सवारी गाड़ी से निकले। कारसेवकों में गोविंदाचार्य स्वामी जी महाराज, अशोक दुबे, रामेश्वर हलवाई व महेंद्र दुबे साथ थे। कई स्थानीय लोग भी ने हैदरनगर रेलवे स्टेशन से निकले। पांच दिसंबर की शाम श्री धाम अयोध्या पंहुचे।

बड़े से बड़े पत्‍थर को आसानी से उठा रहे थे कारसेवक

छह दिसंबर की सुबह सरयू का रज लेकर हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन किया, जहां अद्भुत उत्साह व शक्ति का अनुभव हुआ। वह राम भक्ति में मगन थे। उनके जेहन में सिर्फ श्री राम नजर आ रहे थे। विवादित ढांचे को तोड़ने में पूरा दिन लगा रहा। शाम तक पूरे ढांचे का अस्तित्व खत्म कर दिया गया।

बड़े से बड़े पत्थर को हम सभी कारसेवक ऐसे उठा रहे थे, जैसे वह बिल्कुल हल्का हो। उस समय किसी भी कीमत पर ढांचा को हटाकर प्रभु श्रीराम को स्थापित करना ही एकमात्र जिंदगी का उद्देश्य था। उनको राम लला को भोग लगाने की लालसा थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भगवान श्री राम भूखे हैं। वह राम मंदिर निर्माण तक वहां से हटना नहीं चाहता थे। बिना राम का कार्य किए उनको चैन नहीं था।

गिरफ्तारी के बाद मां और बहन ने कोर्ट से कराया बेल

7 दिसम्बर को सुबह वह अयोध्या थाना में गिरफ्तार हुए। पुलिस की बर्बरता का शिकार हुए। पुलिस की पिटाई से गंभीर रूप से घायल हुए। उसी अवस्था में उनको फैजाबाद जेल भेज दिया गया। 15 दिन बाद पुलिस के द्वारा लखनऊ अस्पताल में उपचार किया गया।

एक महीने आठ दिन बाद मां और दामाद ने कोर्ट से बेल कराया, लेकिन उनके मन में मंदिर जाकर भगवान श्री राम का दर्शन करने की लालसा बनी रही। अब यह सपना पूरा होने जा रहा है। भगवान श्री राम 22 जनवरी को मंदिर में विराजमान होंगे।

वह भी इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का साक्षी बनने अयोध्या जा रहे हैं। कहा कि भारत बदल रहा है क्योंकि प्रभु राम टेंट से निकल कर अपने महल में आ रहे हैं। जिन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया, वे समाप्त हो गए। जिन्होंने प्रभु राम का झंडा उठाय,वे आज चमक रहे हैं।

यह भी पढ़ें: मकर संक्रांति पर बाबूलाल का नया अंदाज, गंगा में डुबकी लगाकर मंदिर में लगाई झाड़ू, फिर भगवान से की कामना

यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2024: कैसे बनता है चाइनीज धागा? जान भी जाने का रिस्‍क, यहां से होती है सप्‍लाई