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कामगारों का शोषण कर रहा खलारी सीमेंट प्रबंधन

खलारी खलारी सीमेंट कारखाना प्रबंधन उद्योग व श्रम कानूनों को ताक पर रखकर सीमेंट कामगार

By JagranEdited By: Updated: Sun, 03 Jan 2021 08:00 AM (IST)
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कामगारों का शोषण कर रहा खलारी सीमेंट प्रबंधन

खलारी : खलारी सीमेंट कारखाना प्रबंधन उद्योग व श्रम कानूनों को ताक पर रखकर सीमेंट कामगारों को छलने और शोषण करने का काम कर रहा है। सीमेंट कामगारों की यूनियन 'दी खलारी सीमेंट वर्कर्स यूनियन' के महासचिव उदयकात झा ने इससे संबंधित ज्ञापन कारखाना प्रबंधन सहित मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री, श्रम मंत्री, श्रमायुक्त, मुख्य कारखाना निरीक्षक, क्षेत्रीय भविश्यनिध आयुक्त, अध्यक्ष जेबीवीएनएल, एसएसपी, डीएसपी, सीओ, खलारी थाना प्रभारी सहित सासद व विधायक को दिया है। यूनियन ने बताया है कि प्रबंधन ने स्टैंडिंग ऑर्डर सहित सारे कानून दरकिनार कर विगत 30 दिसंबर से कामगारों की उपस्थिति पंजी ही हटा दी है। बावजूद इसके कामगार फैक्ट्री आ-जा रहे हैं। वहीं, नवंबर तथा दिसंबर महीने का वेतन भी लंबित है। ज्ञात हो कि कामगारों पर मानसिक दबाब बनाने और अपनी मनमानी करने के लिए चार फरवरी 2020 को भी प्रबंधन ने उपस्थिति पंजी हटाई थी। लेकिन यूनियन के साथ हुए समझौते के बाद पंजी रख दी गई थी। यूनियन ने कहा है कि सीमेंट प्रबंधन अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर कामगारों की नहीं अपितु सरकार को भी धोखा दे रहा है। यूनियन ने चेतावनी दी है कि पांच जनवरी तक प्रबंधन सकारात्मक निर्णय नहीं लेता है, तो सात जनवरी से अनिश्चितकालीन आदोलन किया जाएगा।

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अपनी रसूख को ढाल बना धोखा दे रहा प्रबंधन

यूनियन ने बताया है कि किस तरह कारखाना प्रबंधन अपने रसूख को ढाल बनाकर सेवानिवृत्त कामगारों, वर्तमान कामगारों सहित राज्य व केंद्र सरकार को धोखा देने के फिराक में है। यूनियन ने सरकार के संज्ञान में लाने के लिए बताया है कि खलारी सीमेंट लिमिटेड प्रबंधन वर्ष 1997 से सेवानिवृत्त हुए कामगारों, जिनमें अनेक स्वर्गवासी भी हो गए हैं का गेच्यूटी भुगतान नहीं किया है। यह राशि मूल रूप से करीब 5 करोड़ है। अब यह ब्याज सहित लगभग 10 करोड़ पार कर जाएगी। सीमेंट कामगारों के लिए सुविधा या सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया जाता है। दिखावे के लिए बिना डाक्टर, नर्स के जर्जर अस्पताल भवन है। पर्यावरणीय मानकों को ताक पर रखकर और एसीसी के लीज उद्देश्य के विरुद्ध कारखाना परिसर से कोयले का व्यापार किया जा रहा है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव कामगारों व आसपास के ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कई माह की भविष्यनिधि का पैसा जमा नहीं किया गया है। प्रबंधन आए दिन मिथ्या आरोप लगाकर निर्दोष कामगारों को दंडित या निष्कासित कर रहा है।

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मशीनों को स्क्रैप बनाकर बेच रहा प्रबंधन

खलारी सीमेंट लिमिटेड प्रबंधन कामगारों व यूनियन को बंदी का भय दिखाकर चालू होने लायक मशीनों को भी काटकर स्क्रैप बनाकर बेच रहा है। कारखाना की मुख्य यूनिट चूना पत्थर को पकाने वाला क्लिन को भी काटकर बेच दिया गया। खलारी सीमेंट कारखाना में अब कभी भी चूना पत्थर नहीं पक सकेगा। कारखाना केवल ग्राइंडिंग प्लाट बनकर रह गया। यूनियन ने बताया है कि जून महीने से अबतक करीब तीन करोड़ का स्क्त्रैप बेचा जा चुका है, लेकिन किसी भी कामगार का बकाया नहीं दिया गया। यहा तक की वेतन देने के लिए भी प्रबंधन के पास पैसा नहीं है।

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अक्टूबर से बंद है सीमेंट उत्पादन

प्रबंधन कारखाना के आधुनिकीकरण का सब्जबाग दिखाकर मशीनों को स्क्रैप कर बेच रहा है। लेकिन आधुनिकीकरण की बात तो दूर, कामगारों पर मानसिक दबाब बनाने के लिए विगत अक्टूबर महीने से सीमेंट का उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया गया। प्रबंधन कच्चा माल भी नहीं मंगा रहा है। यह कंपनी की नीयत दर्शाता रहा है।

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आठ करोड़ रुपये बाकी है जेबीवीएनएल का बिल

यूनियन की ओर से सरकार के संज्ञान में लाया गया है कि बिजली बिल के मद में खलारी सीमेंट लिमिटेड का करीब आठ करोड़ रुपया झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का बकाया है। महामंत्री यूके झा ने बताया कि कारखाना बंदी के समय का आठ करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया था। इसे फ्रीज कर नए सिरे से बिल भुगतान किया जाने लगा। पुराने बिल में कुछ भुगतान भी किया गया। बावजूद इसके अब भी पुराना बिल सात करोड़ 36 लाख रुपये बाकी है। वहीं, नया बिल भी 90 लाख बकाया है।

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