Jharkhand Election: झारखंड में लड़ाई... 'बंडी' पर आई; कच्छप और पाहन के बीच डायरेक्ट फाइट
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में खिजरी विधानसभा सीट पर भाजपा के राम कुमार पाहन और कांग्रेस के राजेश कच्छप के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। पाहन ने 2019 में हार के बाद से ही लाल बंडी पहन रखी है और इसे तभी उतारने की बात कह रहे हैं जब भाजपा को जीत दिला देंगे। वहीं वर्तमान विधायक राजेश कच्छप भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
अमित सिंह, रांची। Jharkhand Election 2024 रांची जिले में खिजरी विधानसभा हॉट सीट है। 2019 में कांग्रेस के राजेश कच्छप ने 5,462 मतों से भाजपा के राम कुमार पाहन को हराया था। जिस लाल बंडी को पहनकर पाहन ने हार को गले लगाया था, आज तक उसे छोड़ी नहीं है। उसे ही पहन रहे हैं। उनकी पहचान ही लाल बंडी बन चुकी है।
पाहन को इस बार पूरा भरोसा है कि खिजली में फिर से कमल खिलेगा। भाजपा को जीत दिलाने के बाद ही लाल बंडी उतारेंगे। वे कहते हैं कि 2019 में सरयू राय फैक्टर की वजह से एचईसी क्षेत्र में वोट कम मिला था। इस बार ऐसा कोई फैक्टर नहीं है।
वहीं, वर्तमान विधायक राजेश कच्छप को अपने काम पर भरोसा है। दावा करते है कि झारखंड बनने के बाद खिजरी विधानसभा क्षेत्र में जितना विकास का कार्य नहीं हुआ था, उन्होंने पांच साल में कर दिखाया है। पूरा भरोसा है कि चुनाव में इसका परिणाम उन्हें जीत के रूप में मिलेगा।
'नहीं दूंगा लाल बंडी उतारने का मौका'
लाल बंडी पर कच्छप कहते हैं कि इस बार भी लाल बंडी उतारने का मौका पाहन को नहीं दूंगा। खिजरी सीट पर एनडीए और आईएनडीआईए गठबंधन में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। वर्ष 2019 में भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार भाजपा, आजसू के साथ जदयू भी साथ मिलकर चुनावी मैदान में है।
रोजगार और विस्थापन से जूझ रहे हैं युवा:
खिजरी क्षेत्र के मतदाता दोनों उम्मीदवारों के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। विस्थापन की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। गेतरसूद डैम, सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट, रिंग रोड और एक्सप्रेसवे जैसी विकास योजनाओं पर काम शुरू होने के बाद क्षेत्र में विस्थापन बढ़ा है। हाथियों के आतंक, इससे जान-माल गंवाने के साथ फसल की बर्बादी का दंश भी ग्रामीण झेल रहे हैं। एशिया के सबसे बड़े भारी उद्योग एचईसी में करीब तीन हजार स्थायी-अस्थायी कर्मियों को 26 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। यहां के कर्मचारियों की समस्या को किसी भी राजनीतिक दल ने गंभीरता से नहीं लिया है।
एचईसी के कर्मियों का कहना है कि हारने के बाद राम कुमार पाहन कभी नहीं आए। राजेश कच्छप ने विधानसभा में एचईसी के मुद्दे को उठाया। खिजरी विधानसभा क्षेत्र में टाटीसिलव, तुपुदाना आदि औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां कई कारखानों के बंद होने से रोजगार के लिए युवाओं को भटना पड़ रहा है। युवाओं का रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन हो रहा है।
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1969 के अविभाजित बिहार में इस सीट से जनसंघ के सुखारी उरांव विधायक बने थे। जबकि उससे दो साल पहले यानी 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के आरएल होरो को जीत मिली थी। 1972 में उमराव सादो कुजूर ने फिर से कांग्रेस का झंडा बुलंद किया तो 1977 में फिर सुखारी उरांव को जीत हासिल हुई। आंकड़े साफ बता रहे हैं कि इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हमेशा देखने को मिली है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश कच्छप को जीत मिली थी। इस बार के इस सीट पर भाजपा की निगाहें जमी हैं और पार्टी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।2019 में किसको मिला था कितना वोट
प्रत्याशी | वोट |
राजेश कच्छप | 83,601 |
राम कुमार पाहन | 78,139 |
रामधन बेदिया | 29,048 |
अंतु तिर्की | 6,694 |
सरिता तिर्की | 4,302 |
नोटा | 2,565 |
प्रफुल लिंडा | 2,268 |
सुनील वि. केरकेट्टा | 1,765 |
सायन तिर्की | 1,295 |