lalu yadav News: जानिए, कैसा है रांची रिम्स, जहां चारा घोटाला के दोषी लालू यादव का चल रहा इलाज
lalu yadav News जिस रांची रिम्स में लालू यादव भर्ती कराए गए हैं उसकी कहानी बेहद दिलचस्प रही है। वह पहली बार यहां भर्ती नहीं कराए गए हैं इससे पहले भी वह यहां भर्ती रह चुके हैं। सोमवार को उसी पेइंग वार्ड से वह सजा सुनेंगे।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Sun, 20 Feb 2022 10:55 PM (IST)
रांची, डिजिटल डेस्क। रांची रिम्स एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह- यहां लालू प्रसाद यादव भर्ती कराए गए हैं। कई बीमारियों से जूझ रहे लालू यादव का यहां इलाज चल रहा है। वाया होटवार जेल लालू यादव यहां पहुंचे हैं।पहली बार नहीं, इससे पहले भी यहां पहुंचते रहे हैं। रिम्स रांची के जिस पेइंग वार्ड में इलाजरत हैं, सोमवार को सीबीआइ की विशेष अदालत उसी में राजद सुप्रीमो को सजा सुनाने जा रही है... आनलाइन। चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए गए लालू यादव को लैपटाप उपलब्ध कराया जाएगा। इसी के सहारे वह जज का फैसला सुनेंगे।
वर्ष 1960 में इस मेडिकल कालेज अस्पताल की हुई थी स्थापना बहरहाल, आपको जानकर अच्छा लगेगा कि रिम्स के नाम से मशहूर इस अस्पताल का पूरा नाम है- राजेंद्र इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस। इसे हिन्दी में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान कहा जाता है। यह 'रांची रिम्स' के नाम से ज्यादा मशहूर है। यहां झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। यह झारखंड सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्था है। यह भारत के प्रमुख मेडिकल कालेजों में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी। भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम पर पूर्व से ही इसका नाम राजेंद्र मेडिकल कालेज अस्पताल रहा है। वर्ष 1965 में फरवरी में यहां मेडिकल कालेज अस्पताल की बुनियाद पड़ी थी। डाक्टर एनएल मित्रा इस कालेज के प्रथम प्राचार्य थे। वहीं, इस संस्थान का नाम बदलने के बाद डाक्टर केपी श्रीवास्तव इसके प्रथम निदेशक बनाए गए थे।
रिम्स का ट्रामा सेंटर पूर्वी भारत में रखता है अपनी विशेष पहचान यह मेडिकल कालेज आधुनिक उपकरणों से लैस 1500 बेड का मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल है। यहां 100 सीट का एक डेंटल कालेज भी है। कालेज में 14 बेड का ट्रामा सेंटर भी है। यह ट्रामा सेंटर पूर्वी भारत में अपनी विशेष पहचान रखता है। यहां पर एमबीबीएस कोर्स के लिए हर साल पहले 90 स्टूडेंटस का प्रवेश होता था। एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया) के नए नियमों के अनुसार यहां 150 स्टूडेंटस का अब नामांकन होता है। कालेज लगभग सभी विभागों में पीजी शिक्षा भी प्रदान करता है। हर वर्ष करीब 150 स्टूडेंटस यहां प्रवेश लेते हैं।
16 करोड़ रुपये की लागत से बना है यहां 100 बेड का पेइंग वार्ड रांची रिम्स में 16 करोड़ की लागत से 100 बेड का पेइंग वार्ड है। इसका उदघाटन 26 जुलाई 2018 को हुआ था। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसका उदघाटन किया था। यहां हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। पेइंग वार्ड के सभी फ्लोर पर पेयजल की बढ़िया सुविधा है। यहां सभी कमरों में मरीजों के लिए बेड, अटेंडेंट के लिए बेड, बेडसाइड लॉकर, बेड साइड टेबल, स्लाइन स्टैंड, गीजर, एसी, एलइडी टीवी, फ्रिज, टेलीफोन, दो कुर्सी, टेबल मौजूद उपलब्ध है। इसके साथ ही नर्सिग स्टेशन और डाक्टर रूम भी है।
मरीज को एक हजार रुपये में यहां कई तरह की मिलती हैं सुविधाएं पेइंग वार्ड की सुविधा के लिए 1000 रुपये शुल्क जमा करने पड़ते हैं। इस शुल्क में ही डाक्टर का विजिट चार्ज, नर्स का विजिट चार्ज और भोजन चार्ज भी शामिल रहता है। लालू यादव लगभग तीन साल तक कैदी के रूप में यहां रहते हुए इलाज करा चुके हैं। अंतिम बार करीब सात महीने के बाद फिर लालू यादव रांची रिम्स पहुंचे हैं। लालू यादव फिर से उसी ए-11 कमरे में भर्ती हैं, जहां हर बार भर्ती होते रहे हैं। इससे पहले लालू केडियोलॉजी विंग में करीब दो माह के लिए भर्ती रहे थे। एक माह इंतजार के बाद उन्हें पेइंग वार्ड भेजा गया था। भाजपा सरकार में पेइंग वार्ड की सुविधा हासिल करने के लिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी थी।
डा उमेश प्रसाद ने ही बताया था कि खराब हो रही लालू की किडनी मालूम हो कि लाूल यादव का इलाज पहले डा उमेश प्रसाद करते थे। कोरोना की दूसरी लहर में उनका निधन हो गया था। वह कैंसर से पीड़ित थे। उन्हें लालू यादव काफी पसंद किया करते थे। उन्होंने ही लालू यादव को बताया था कि किडनी खराब हो रही है। इसके बाद रिम्स मेडिकल बोर्ड ने लालू यादव को एम्स रेफर कर दिया था। वहां कई माह इलाज चला। एक बार फिर लालू रिम्स पहुंच गए हैं।
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