Move to Jagran APP

नेता-अधिकारी चुनाव में व्यस्त, 'बाबुओं' ने करवा दी करोड़ों की हेराफेरी; ऐसे उठा पूरे मामले से पर्दा

ग्रामीण विकास विभाग से करोड़ों की अवैध निकासी का मामला सामने आया है। राशि की निकासी से पहले विभागीय मंत्री से अनुमति तक नहीं ली गई है। वहीं वित्त विभाग से भी अनापत्ति प्राप्त नहीं है और लगभग आठ सौ के करीब संविदा कर्मियों को बकाए वेतन का भुगतान कर दिया गया है। इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग से शिकायत की गई है।

By Ashish Jha Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sun, 19 May 2024 09:08 PM (IST)
Hero Image
नेता-अधिकारी चुनाव में व्यस्त, 'बाबुओं' ने करवा दी करोड़ों की हेराफेरी; ऐसे उठा पूरे मामले से पर्दा
आशीष झा, रांची। चुनावी व्यस्तता के बीच ग्रामीण विकास विभाग से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी कर ली गई है। इतने बड़े पैमाने पर राशि निकासी के पूर्व विभागीय मंत्री से अनुमति तक नहीं ली गई है। वित्त विभाग से भी अनापत्ति प्राप्त नहीं है और लगभग आठ सौ के करीब संविदा कर्मियों को बकाए वेतन का भुगतान कर दिया गया है।

इन्हें देर-सबेर राशि तो मिलती ही, लेकिन इसके पूर्व नियमों और स्थापित व्यवस्था की अवहेलना एक बड़ा मामला है। पूरी प्रकरण पर शिकायत निर्वाचन आयोग से की गई है। कहा गया है कि आचार संहिता लागू होने के बाद इतने बड़े पैमाने पर राशि का भुगतान करना कहीं ना कहीं स्वेच्छाचारिता का प्रतीक है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, केंद्रीय मदद से पूरे देश में संचालित जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, डीआरडीए को भंग कर दिया गया है। राज्य के सभी जिलों में डीआरडीए के सैकड़ों कर्मियों को इसके साथ ही समायोजित करने की बात हुई। केंद्र सरकार ने इन्हें पंचायत राज विभाग में समायोजित करने का प्रस्ताव भी दिया।

राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय लिया कि सभी को समायोजित कर लिया जाएगा, लेकिन इस निर्णय को मुकाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। नियमावली नहीं बन सकी, किसी प्रकार के भुगतान के लिए वित्त विभाग और मंत्री की अनुमति भी नहीं ली जा सकी थी।

इधर, तमाम प्रविधानों को दरकिनार कर विभागीय सचिव के अनुमोदन से सभी कर्मियों को बकाए का भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई और एक-एक कर्मी को लाखों रुपये का भुगतान भी हुआ है।

सरकार ने कहा था- निर्धारित संविदा राशि अनुमान्य नहीं

डीआरडीए कर्मियों को समायोजित करने से संबंधित मामले में विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा था कि डीआरडीए कर्मियों को सप्तम वेतन पुनरीक्षण आधारित निर्धारित संविदा राशि अनुमान्य नहीं है। भुगतान के पूर्व सेवा शर्त एवं नियमावली में संशोधन भी अनिवार्य है।

इन कर्मियों को वितत विभाग द्वारा निर्धारित महंगाई भत्ता के आधार पर मासिक संविदा राशि का भुगतान होना है। इस तथ्य को छिपाते हुए कर्मियों को लाखों रुपये के बकाए का भुगतान कर दिया गया है।

कार्यालय आदेश निकालकर किया भुगतान

डीआरडीए के संविदा कर्मियों को बकाया राशि भुगतान करने के लिए वित्त विभाग और विभागीय मंत्री से अनुमति नहीं ली गई है। विभागीय मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री ही हैं। इसके बावजूद कार्यालय आदेश निकालकर भुगतान शुरू कर दिया गया है। निर्वाचन आयोग तक पहुंची शिकायत के अनुसार पूरे प्रकरण में सचिव तक को अंधेरे में रखा गया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ऐसा नहीं है।

ये भी पढ़ें-

नक्सलियों के गढ़ में बिछेगा सड़कों का जाल, इलाके के लोगों की चमकेगी किस्मत! यहां आन-जाना हो जाएगा आसान

हवस के दरिंदे चाचा ने रिश्ते को किया तार-तार, नाबालिग भतीजी से किया दुष्कर्म; गांववालों ने दी ऐसी सजा कि...

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।