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Lok Sabha Election 2024: झारखंड में रणनीतिक बढ़त लेने में सफल रही कांग्रेस, झामुमो के साथ इन सीटों पर दिखाया दम

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आ चुके हैं। झारखंड में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। राज्य की हर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत के पुराने अंतर को कम करने में सफलता पाई है। कई सीटों पर पिछले चुनावों में लगातार हार के बावजूद प्रत्याशियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। प्रदेश में कांग्रेस ने झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है।

By Ashish Jha Edited By: Subhash Gariya Updated: Tue, 04 Jun 2024 09:45 PM (IST)
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कांग्रेस ने झारखंड में दो लोकसभा सीटों पर दर्ज की जीत
राज्य ब्यूरो, रांची। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने रणनीतिक सफलता दर्ज की है। हर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत के पुराने अंतर को कम करने में सफलता पाई है। कई सीटों पर पिछले चुनावों में लगातार हार के बावजूद प्रत्याशियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को बड़े अंतर से हराकर पार्टी उम्मीदवार कालीचरण मुंडा ने सबको चौंका दिया है। इसी प्रकार सुखदेव भगत ने लोहरदगा सीट से जीत दर्ज की है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस ने भी बढ़त हासिल की है। इन सीटों पर वापसी के लिए भाजपा को भारी मशक्कत करनी पड़ी है। खूंटी और लोहरदगा जैसी सीटों पर वापसी कर कांग्रेस ने छोटानागपुर प्रमंडल में अपना डंका बजाया है, जहां इसका प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर था। विधानसभाओं में भी कांग्रेस के कम विधायक हैं।

झारखंड में झामुमो के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही कांग्रेस को दो सीटें मिलने से आदिवासी मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ और भी मजबूत हुई है। अन्य वर्गों के बीच भी पार्टी की पहुंच बढ़ी है। पिछड़ा वर्गों के बीच कांग्रेस ने अच्छी पकड़ बनाई है और हाल के दिनों में कांग्रेस में शामिल हुए पिछड़े वर्ग के नेताओं को इसका श्रेय जाता है। पार्टी की ओर से भी पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के लिए सदैव काम किया गया है। सरना धर्म कोड के लिए प्रस्ताव लाने और इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए भी कांग्रेस को आदिवासी मतदाताओं की अपनी पकड़ बनाने में मदद मिली है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कद बढ़ा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कद इस परिणाम से बढ़ा है। पार्टी की एकमात्र सांसद गीता कोड़ा ने चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो पार्टी के सामने चुनौती थी कि आदिवासी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ को मजबूत बनाए।

गैर आदिवासी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाकर किसी आदिवासी को नेतृत्व देने की बात उठने लगी थी। कहा जा रहा था कि ऐसा होने के बाद ही प्रदेश में आदिवासी समुदाय के बीच कांग्रेस का विश्वास कायम होगा। अब चुनाव परिणाम बता रहा है कि एक आदिवासी सांसद के जाने के बाद दो-दो आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस को दो सौ प्रतिशत की बढ़त का श्रेय निश्चित तौर पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को मिलेगा।

विधानसभा चुनाव में दिखेगा असर

कांग्रेस को मिली यह बढ़त विधानसभा चुनाव में भी अपना असर दिखाएगी। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़ने की संभावनाएं अभी से जताई जाने लगी है। वर्तमान में भी कांग्रेस के विधायकों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ी है और संख्या में ओर भी इजाफा होने का अनुमान है।

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