Lord Jagannath Bahuda Yatra: घुरती रथयात्रा आज... मौसीबाड़ी से अपने धाम लौटेंगे भगवान जगन्नाथ
Lord Jagannath Bahuda Yatra 2022 आज घुरती रथयात्रा है। रविवार शाम चार बजे भगवान जगन्नाथ की घुरती रथयात्रा निकलेगी। देवशयनी एकादशी के दिन माैसीबाड़ी में नौ दिनों तक आतिथ्य स्वीकार करने के बाद भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा जगन्नाथ धाम लौटेंगे।
By Sanjay KumarEdited By: Updated: Sun, 10 Jul 2022 08:56 AM (IST)
रांची, जासं। Lord Jagannath Bahuda Yatra 2022 आज घुरती रथयात्रा है। देवशयनी एकादशी के दिन माैसीबाड़ी में नौ दिनों तक आतिथ्य स्वीकार करने के बाद भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा जगन्नाथ धाम लौटेंगे। नियमित पूजा-अर्चना और महाआरती के बाद आज यानी रविवार शाम चार बजे झारखंड की राजधानी रांची के जगन्नाथपुर में भगवान जगन्नाथ की घुरती रथयात्रा निकलेगी। भगवान को विदा करने करने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। मौसीबाड़ी से जगन्नाथ मंदिर के बीच रास्तेभर भगवान की आरती उतारी जाएगी। पुष्प की बारिश कर श्रद्धालु सर्व मंगल की कामना करेंगे। शाम छह बजे के आसपास भगवान का रथ मंदिर पहुंचेगा। बारी-बारी से रथारूढ़ तीनों विग्रहों को रथ से उतार कर मंदिर में विराजमान कराया जाएगा। जयकारे के बीच भगवान की 108 की मंगलआरती उतारी जाएगी। रात आठ बजे तक दर्शन पूजन चलेगा। इसके बाद भोग लगाने के बाद भगवान का शयन कराया जाएगा।
घुरती रथयात्रा के साथ नौ दिनी मेला का होगा समापनएक जुलाई को रथयात्रा निकाली गई थी। वहीं, नौ दिनों के बाद 10 जुलाई को घुरती रथयात्रा के साथ मेला का समापन हो जाएगा। अंतिम दिन मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटनी की संभावना है। मंदिर के पुजारी कौस्तुभ मिश्रा के अनुसार रविवार को सुबह 5.30 बजे से मौसीबाड़ी में भगवान की पूजा होगी। वहीं, दोपहर में पट बंद कर घुरती रथयात्रा की तैयारी शुरु हो जाएगी। संध्या में दर्शन-पूजन जगन्नाथ मंदिर में होगी।
भगवान को लगा गुंडिचा भोग, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पाया प्रसादभक्तों के अभिष्ट फलदाता भगवान श्री जगन्नाथ को शनिवार को रात में खीर व खिचड़ी का भोग लगाया गया। श्री जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति की ओर से रात में आठ बजे महाआरती की गई। इसके बाद भगवान को खिचड़ी और खीर का विशेष भोग निवेदित किया गया। महाआरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। रात नौ बजे से आमलाेगों के बीच प्रसाद बांटे गए।
मेला में रौनक अंतिम, लोगों ने खूब किया मस्तीरथमेला के अंतिम दिन शनिवार को मेले की रौनक देखते बनती थी। दोपहर बाद से ही मेले में भीड़ जुटनी शुरु हो गई जो रात 10 बजे तक रही। दर्शन पूजन के बाद लोगों ने मेले का जमकर आनंद उठाया। मनपसंद व्यंजन के लुत्फ उठाये। जमकर खरीदारी भी की। बच्चों ने झूले, सर्कस का मजा लिया। घुरती रथयात्रा के बाद मेला उठने लगेगा। भीड़ भी लगभग समाप्त हो जाएगी।
14 जुलाई की रात से चातुर्मास होगा आरंभ, चार माह तक विश्राम करेंगे जगन्नाथसावन मास की शुरुआत 14 जुलाई से आरंभ हो रहा है। रात आठ बजे के बाद चातुर्मास आरंभ हो जाएगा। मान्यता है कि चातुर्मास के चार माह भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। इस दौरान भगवान का दर्शन वर्जित रहता है। ऐसे में विष्णु रूप भगवान जगन्नाथ का भी दर्शन वर्जित हो जाएगा। सिर्फ नियमित पूजा-अर्चना होगी। पंडित कौस्तुभ मिश्रा के अनुसार चार नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान क्षीर सागर से वापस लौटेंगे। इसी के साथ दर्शन-पूजन आरंभ हो जाएगा।
रवि योग के साथ शुभ व शुक्ल योग के संयोग में होगा देवशयनी एकादशीजगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के लिए एकादशी तिथि को सबसे उत्तम माना गया है। साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी में देवशयनी एकादशी और देवउठनी एकादशी का अलग ही महत्व है। आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी देवोत्थान एकादशी इन चार महीनों तक भगवान विष्णु योग निद्रा में पाताल लोक चले जाते हैं। इस बीच में कोई भी शुभ कार्य वर्जित है। देवशयनी एकादशी के दिन रवि योग के साथ साथ शुक्ल योग बन रहा है। इन योगों को ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत ही शुभ योग माना जाता है। इस काल में किए गए जप, तप, पूजा आदि कार्यों में सफलता के साथ मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि ऋषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार देवशयनी एकादशी की शुरुआत 09 जुलाई शनिवार दिन11 बजकर 30 मिनट से होगी और समापन 10 जुलाई रविवार दिन के 09 बजकर 31 मिनट पर होगा। 10 को उदयातिथि के कारण एकादशी व्रत 10 जुलाई को ही रखा जाएगा।चार महीने पाताल लोक में क्यों रहते हैं श्री हरिभगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि और उसके बाद सिर्फ दो पग में ही पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया और तीसरे पग को रखने के लिए राजा बलि से पूछा तो उसने अपना सिर आगे रख दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक दे दिया और उनसे वर मांगने को कहा तो उन्होंने श्री हरि से कहा कि जिस तरह आप देवताओं के साथ देवलोक में निवास करते हैं, उसी तरह आप मेरे साथ भी कुछ दिन तक पाताल लोक में निवास करें। जिससे भगवान विष्णु सभी देवी-देवताओं के साथ पाताल लोक गए थे वह दिन देवशयनी एकादशी का दिन था। एकादशी व्रत के दिन देवशयनी एकादशी के दिन संभव हो तो प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करना चाहिए या अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें व्रत का संकल्प ले इसके बाद भगवान विष्णु को दूध-दही, शहद, शक्कर, घी और गंगा जल से स्नान कराकर विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। एकादशी के दिन विशेष रूप से गाय को केले खिलाना चाहिए। दान पुण्य का उत्तम समय होता है। इस दौरान साधक एक स्थान पर ठहर कर साधना करते हैं।
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