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दिल्ली के बाद अब झारखंड का बुरा हाल, वायु प्रदूषण से बढ़ें 30 प्रतिशत तक फेफड़ों के मरीज; डॉक्टर ने ये बताकर किया हैरान

Jharkhand News दिल्ली के बाद अब झारखंड की भी हवा खराब हो चली है जिसकी वजह से यहां फेफड़ों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. निशिथ कुमार ने रविवार को इंडियन चेस्ट सोसाइटी झारखंड की ओर से आयोजित रेस्पिकान 2023 कार्यक्रम के दौरान बताया कि वायु प्रदूषण की वजह से टीबी मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।

By Anuj tiwariEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 18 Dec 2023 01:33 PM (IST)
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दिल्ली के बाद अब झारखंड का बुरा हाल, वायु प्रदूषण से बढ़ें 30 प्रतिशत तक फेफड़ों के मरीज

जागरण संवाददाता, रांची।  कोरोना के बाद वायु प्रदूषण से लोगों के फेफड़े और भी कमजोर हो चले हैं। पिछले 15 वर्षों की तुलना में झारखंड में 30 प्रतिशत लंग्स कैंसर, अस्थमा के मरीज बढ़े हैं। दिल्ली के बाद अब झारखंड में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, जो चौंकाने वाले हैं।

यह बातें फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. निशिथ कुमार ने रविवार को इंडियन चेस्ट सोसाइटी झारखंड की ओर से आयोजित रेस्पिकान 2023 कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण की वजह से टीबी मरीजों की संख्या भी बढ़ी है, इस बीच ऐसे मरीजों के उपचार को लेकर और सतर्कता जरूरी है।

इस मौके पर 90 डाक्टर झारखंड से और पांच डाक्टर दूसरे राज्यों से पहुंचे थे। होटल रेडिशन में आयोजित इस कार्यक्रम में छाती रोग के उपचार में आए एडवांस तकनीक के बारे में डाक्टरों ने चर्चा की और जानकारियों का आदान-प्रदान किया।

वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक

डॉ. तलवार मैट्रो अस्पताल दिल्ली के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ दीपक तलवार ने वायु प्रदूषण की खराब स्थिति को देखते हुए चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे अधिक वायु प्रदूषण के मरीज बढ़े हैं। फेफड़े की समस्या को लेकर अब युवा वर्ग भी आगे आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है। पौष्टिक भोजन के साथ शुद्ध वातावरण की जरूरत है, जिसके लिए लोगों को आगे आना होगा और प्रदूषण के खिलाफ काम करना होगा।

इंडियन चेस्ट सोसाइटी झारखंड के चेयरमैन डा. श्यामल सरकार बताते हैं कि छोटे फ्लेट में रहने वालों में भी अस्थमा की समस्या देखने को मिल रही है। किचन से आने वाले विभिन्न तरह की गैस व प्रदूषण से भी फेफड़े की समस्या बढ़ रही है। इसे लेकर जरूरी है कि घर हवादार हो, किचन में गैस बाहर निकलने की पूरी जगह हो। शुद्ध वातावरण के लिए जरूरी है कि अत्यधिक पौधारोपण भी किया जाए।

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