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फेसबुक पर दोस्ती कर शारीरिक संबंध बनाने का मामला, कोर्ट ने कहा- आरोपी को बरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं

अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट ने फेसबुक के जरिए एक महिला से दोस्ती करने के बाद शारीरिक संबंध बनाकर शादी से मुकरने के आरोपित मनोहर पासवान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने गवाहों को कोर्ट लाने के लिए रांची एसएसपी और डीजीपी तक को पत्र लिखा लेकिन कोई गवाह कोर्ट नहीं पहुंचा जिसके बाद आरोपित को बरी कर दिया गया।

By Manoj Singh Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 20 Nov 2024 06:04 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूरो, रांची। अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट ने फेसबुक के जरिए एक महिला से दोस्ती करने के बाद शारीरिक संबंध बनाकर शादी से मुकरने के आरोपित मनोहर पासवान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में गवाहों को कोर्ट लाने के लिए रांची एसएसपी और डीजीपी तक को पत्र लिखा था।लेकिन कोई भी गवाह कोर्ट नहीं पहुंचा। इसके बाद कोर्ट ने आरोपित को बरी कर दिया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में किसी की गवाही नहीं हुई है। ऐसे में कोर्ट के पास अभियुक्त को बरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। आरोपित पर 16 मार्च 2022 को आरोप गठित किया गया था।

16 जनवरी को गवाहों को जारी किया गया था समन

मामले में 16 जनवरी को गवाहों को समन जारी किया गया। जब कोई कोर्ट नहीं पहुंचा तो गवाहों के खिलाफ अगस्त 2023 को जमानती वारंट जारी किया गया। फिर रांची एसएसपी और डीजीपी को पत्र लिखकर गवाहों की कोर्ट में उपस्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। लेकिन कोई गवाह कोर्ट नहीं पहुंचा।

मामले में पीड़िता ने रांची के गोंदा थाना में 10 अगस्त 2020 को प्राथमिकी कराई थी। जिसमें कहा गया कि आरोपित मनोहर पासवान ने फेसबुक के जरिए उससे संपर्क किया और उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा।

फेसबुक और वाट्सएप के जरिए उससे संपर्क करता रहा

महिला ने उसे बताया कि वह पहले से ही शादीशुदा है। अपने बच्चों के साथ अपने पति से अलग रह रही है। जिस पर आरोपित को कोई आपत्ति नहीं थी। वह फेसबुक और वाट्सएप के जरिए उससे संपर्क करता रहा। 26 मई 2020 को आरोपित उसके घर पहुंचा और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।

इसके बाद मांग में सिंदूर लगाते हुए उसे वादा किया कि वह उससे शादी करेगा। लेकिन बाद में शादी करने से इन्कार कर दिया। जांच अधिकारी ने आरोपित मनोहर पासवान के खिलाफ 30 नवंबर 2020 को कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। कोर्ट ने मनोहर पासवान के विरुद्ध संज्ञान लिया।

बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। ऐसे में उसे बरी किया जाए। कोर्ट ने अभियोजन की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करने पर आरोपित को बरी कर दिया।

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