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Jharkhand Education News: मैग्सेसे पुरस्कार विजेता 'डा राजेंद्र सिंह' ने युवाओं को दिए ये पांच टिप्स, कैसे करें जल व मिट्टी संरक्षण?

Jharkhand Education News देश के जल पुरूष के नाम से विख्यात और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता तरुण भारत संघ के संस्थापक डा राजेंद्र सिंह ने रांची के डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में युवाओं को जल व मिट्टी संरक्षण से जुड़ी अहम टिप्स दिए।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Tue, 19 Apr 2022 12:41 PM (IST)
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Jharkhand Education News: मैग्सेसे पुरस्कार विजेता 'डा राजेंद्र सिंह' ने युवाओं को दिए जल व मिट्टी संरक्षण के टिप्स
रांची, जासं। डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची के राजनीति विज्ञान विभाग में कुलपति डा नीतिन मदन कुलकर्णी के दिशा निर्देश पर आजादी के अमृत महोत्सव पर सेमिनार सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें शामिल होने पहुंचे थे देश के जल पुरूष के नाम से विख्यात और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, तरुण भारत संघ के संस्थापक डा राजेंद्र सिंह...। विवि के सभागार में बेहद उत्साह और उमंग के साथ जलपुरूष छात्र छात्राओं से जल व मृदा संरक्षण काे लेकर रूबरू हुए।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी सभागार में झारखंड में वाटर रिसोर्ट पर सेमिनार में बोलते डा राजेन्द्र सिंह।

नहीं मिल पाई है जल की आजादी...

झारखंड में प्रकृति पूजा पर अपना पक्ष रखते हुए जल पुरूष ने कहा कि हमारे लिए भगवान यानी भ - भूमि, ग - गगन, व - वायु, अ - अग्नि और न - नीर है। इनका संरक्षण जरूरी है। आजादी के अमृत महोत्सव के सही मायने पर जलपुरूष ने न सिर्फ खूब बातें की बल्कि युवाओं को जल व इनके स्त्रोतों के संरक्षण काे लेकर कई टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि बेशक हमें राजनीतिक आजादी बहुत दिनों पूर्व मिल गई हो लेकिन आज भी हमारी नदी या समग्र तौर पर कहे तो जल की आजादी नहीं मिल पाई है।

जो स्वस्थ नहीं वो आजाद नहीं...

जल प्रदूषण को और अधिक स्पष्टता से समझाते हुए उन्होंने इस कथन पर जोर दिया कि जो स्वस्थ नहीं वो आजाद नहीं...। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा हमें नदियों और जल के संरक्षण के साथ उन्हें प्रदूषण मुक्त बनाना है। तभी, सही मायने में आजादी का अर्थ समझ में आएगा।

उन्होंने कहा कि आज नदियों पर डैम बनाकर उसे बांधकर नहर या फिर नाला बना दिया गया है। इसकी स्वच्छंदता, अविरलता बाधित है। उन्होंने पूछा कि हम प्रकृति के पूजारी हैं तो क्या वास्तव में नदियां और हमारी सभ्यता संस्कृति आजाद हैं...। हमें इनके प्रवाह को आजाद करना होगा। तब ही प्रकृति के साथ साथ हमारी आजादी भी सही मायने में परिभाषित हो पाएगी।

जलपुरूष ने युवाओं को दिया ये पांच संदेश

  • झारखंड का जंगल और जंगलवासी अपनी हरियाली व खुशहाली के साथ जिएं।
  • झारखंड की जमीन को बरसने वाले पानी से लबालब करना होगा जब ही भूजल के 72 प्रतिशत कमी को दूर किया जा सकता है।
  • झारखंड की खेती व उत्पादन प्रकृति यानी जंगल को बिना बिगाड़े हो।
  • हमारी राजनीतिक संप्रभूता, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक सदभावना कायम रहे इसके लिए एकजुट होना होगा।
  • अंत में, डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के छात्र छात्राएं अपने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज से ही जुट जाएं और प्रगति रिपोर्ट अपने अपने शिक्षकों को दें।
जमीनी स्तर पर करना होगा काम

वहीं, इंडियन हिमालयन रिवर बेसिन काउंसिल आफ इंडिया की अध्यक्ष डा इंदिरा खुराना ने इस सेमिनार में जल की समस्या से संबंधित दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने सारी समस्याओं के लिए जल की कमी और जल की गुणवत्ता को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि इन दो बिंदुओं पर सही तौर पर काम करते हुए ही जल की आजादी और प्रदूषण पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण से हमें नाता जोड़ना होगा। साथ ही युवाओं को इस मुहिम में शामिल करना होगा। तब ही आने वाली पीढ़ियां जल संरक्षण का लाभ उठा पाएगी। इसके लिए हमें मिलकर जमीनी स्तर पर काम करना होगा। नदियों से जुड़कर उर्जा के साथ काम करना होगा। इससे पूर्व दीप प्रज्वलित कर और बीएड विद्यार्थियों के द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

ये रहे मौजूद...

अतिथियों का स्वागत डीएसडब्ल्यू डा अनिल कुमार और कुलसचिव डा नमिता सिंह ने और अतिथियों का विशेष परिचय वरिष्ठ पत्रकार मधुकर के द्वारा दिया गया। मौके पर कुलसचिव डा नमिता सिंह, डीएसडब्ल्यू डा अनिल कुमार, प्रॉक्टर डा पंकज कुमार, राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डा सुचि संतोष बरवार, डा शमा सोनाली, डा रीना नंद, डा किरण झा, पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।

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