Mahashivratri 2022: झारखंड का दूसरा देवघर कहा जाने वाला पहाड़ी मंदिर में शिवरात्रि के दिन घर बैठे कर सकेंगे पूजा, जानिए, क्या है नियम...
Mahashivratri 2022 झारखंड का दूसरा देवघर कहा जाने वाला पहाड़ी मंदिर रांची वासियों के लिए आस्था के प्रतीक है। इस शिवरात्रि(Shivaratri) जो श्रद्धालु सीढ़ी चढ़ने में असमर्थ है या फिर शहर से बाहर हैं उनके लिए ऑनलाइन पूजा करवाने की भी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
By Sanjay KumarEdited By: Updated: Mon, 28 Feb 2022 12:04 PM (IST)
रांची, जासं। Mahashivratri 2022 झारखंड का दूसरा देवघर कहा जाने वाला पहाड़ी मंदिर में शिवरात्रि(Shivaratri) को लेकर तैयारी जोरों पर है। 1 मार्च को होने वाली शिवरात्रि के दिन पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है जिसके मध्य नगर पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से 40 कैमरे लगाए गए हैं। जिससे होने वाली आयोजन पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने पर किसी भी तरह का कोई घटना ना घटे और हर चीज पर निगरानी रखा जा सके। दूसरी और मंदिर के सजावट के लिए आसनसोल और कोलकाता के फूल का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही अन्य राज्य से आने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में अग्रवाल समाज के द्वारा शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है।
त्योहारों पर लोगों का लगा रहता है तांता
मालूम हो कि बीते कई वर्षों से शिवरात्रि के अवसर पर पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है साथ ही अन्य विशेष दिनों और त्योहारों पर लोगों का तांता लगा रहता है। ऐसे में कई बार कई तरह के असामाजिक तत्व द्वारा छोटी मोटी घटना को अंजाम देने का मामला सामने आई। जिसे देखते हुए मंदिर समिति ने इस वर्ष कुल 40 कैमरे मंदिर परिसर के अलग-अलग जगहों पर लगाई गई है। जिसे कंट्रोल यूनिट द्वारा परिसर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी।
शिवरात्रि को लेकर मंदिर में रंग-रोगन का काम अंतिम चरण में
शिवरात्रि को लेकर शिव भक्तों की उमंग जोरों पर है। कई श्रद्धालु गुप्त दान के तहत मंदिर का रंग-रोगन का काम करवा रहे हैं। वहीं सीढ़ियों का रंग-रोगन का काम नगर निगम द्वारा करवाया जा रहा है। दूसरी और अग्रवाल समाज के द्वारा महिलाओं पुरुष के लिए शौचालय का निर्माण करवाया जा रहा है जोकि शिवरात्रि तब पूरी हो जाएगी।
शिवरात्रि पर श्रद्धालु घर बैठे करा सकेंगे पूजा, ऑनलाइन होगा प्रसारणजो श्रद्धालु सीढ़ी चहड़ने में असमर्थ है या फिर शहर से बाहर हैं उनके लिए पहाड़ी मंदिर विकास समिति के द्वारा मंदिर की वेबसाइट और यूट्यूब पर जाकर इस का लाइव प्रसारण देख सकते हैं। साथी ही मंदिर समिति के द्वारा ऑनलाइन पूजा करवाने की भी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इसमें दो प्रकार के पूजा हैं। एक विशेष पूजा दूसरा रुद्राभिषेक। विशेष पूजा पर 11 बेलपत्र और एक लोटा जल श्रद्धालुओं के नाम से चलाए जाएंगे ₹101 में वही रुद्राभिषेक के लिए रुद्राभिषेक के लिए 11 से ₹1 की 1101 रुपए की कीमत रखी गई है
बंगाल के फूल से सजेगा शिव दरबार शिवरात्रि के अवसर पर शिव दरबार के साथ-साथ मंदिर को सजाने के लिए बंगाल के आसनसोल और कोलकाता से फूल मंगवाए गए हैं जिसमें खास तौर पर रजनीगंधा।पहाड़ी मंदिर का इतिहास भी पहाड़ जैसा ऊंचाझारखंड का दूसरा देवघर कहा जाने वाला पहाड़ी मंदिर 117 वर्ष पुराना है। वहीं इसकी इतिहास अपने आप में पहाड़ की चोटी पर लहराती ध्वजा की तरह है। इस मंदिर की कुछ अनूठी परंपराएं हैं। इतिहास के पन्नी उलट कर देखे तो यहां आदिवासी सबसे पहले नाग देव की पूजा करते हैं। इसके बाद पहाड़ी बाबा का दर्शन करते हैं। आदिवासी समुदायों के लिए नाग महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ पर एक नागोबा भी है। जहां आदिवासी समुदाय के लोग पहले नाथ बाबा के दर्शन कर पहाड़ी बाबा को पूछते हैं। वहीं अन्य समुदाय के लोग पहले पहाड़ी बाबा पर जलाभिषेक करने के बाद नाग की पूजा करते हैं।
तीन सौ फीट ऊंचे पहाड़ पर है विराजमान है भगवान शिवपहाड़ी मंदिर के पहाड़ी बाबा तीन सौ फीट की ऊंचाई पर विराजमान है। अपने इतिहास में मशहूर यह जगह लगभग 26 एक्कड़ में फैला हुआ है। यहां श्रद्धालु तकरीबन 450 सीढ़ी चढ़ कर पहाड़ी बाबा का दर्शन करते है। वहीं पहाड़ी स्थित नाग देवता का स्थान 50 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। वर्ष 1905 के आसपास ही पहाड़ के चोटी पर भगवान शिव का मंदिर का निर्माण किया गया था।
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