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Gandhi Jayanti: वर्ष 1940 में महात्मा गांधी ने रामगढ़ में बनाई थी अंग्रेजों को खदेड़ने की रणनीति

Mahatma Gandhi In Jharkhand झारखंड का रामगढ़ ऐतिहासिक धरती है। रामगढ़ का नाता महात्मा गांधी से रहा है। वर्ष 1940 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए वह यहां आए थे। भारी बारिश के बीच यहीं रहकर उन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने की रणनीति बनाई थी।

By Devyanshu MishraEdited By: M EkhlaqueUpdated: Sun, 02 Oct 2022 05:14 PM (IST)
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Mahatma Gandhi: झारखंड के रामगढ़ में आयोजित अधिवेशन में महात्मा गांधी व अन्य नेता।

रामगढ़, (देवांशु शेखर मिश्र)। Mahatma Gandhi In Ramgarh Jharkhand ऐतिहासिक धरती रामगढ़ से भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गहरा नाता रहा है। आज से करीब 82 वर्ष पूर्व वर्ष 1940 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 53वें अधिवेशन में शामिल होने के लिए वह यहां आए थे। यह अधिवेशन कई मायनों में अहम था। इस दौरान महात्मा गांधी ने महिलाओं से पर्दा प्रथा, छुआछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास जैसी कुरीतियों को समाज से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था।

गांधी जी को देखने के लिए उमड़ पड़े थे लोग

बड़े-बुजुर्गों की मानें तो गांधी जी को एक नजर देखने के लिए बड़ी संख्या में दूर दूर से लोग हरहरी नदी के किनारे दामोदर नदी तट पर पहुंचे थे। यहीं अधिवेशन का आयोजन भी किया गया था। वर्ष 1940 में 18 से 20 मार्च तक आयोजित इस अधिवेशन के लिए हरहरी नदी के किनारे ही नेताओं के ठहरने के लिए तंबू आदि लगाए गए थे। भारी बारिश के बीच तीन दिवसीय अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा तय की गई थी।

देश भर के सभी बड़े नेता पहुंचे थे यहां

मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में आयोजित रामगढ़ अधिवेशन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत कई दिग्गज नेताओं ने अधिवेशन में हिस्सा लिया था। डा. श्रीकृष्ण सिंह, डा. राजेंद्र प्रसाद के साथ-साथ देश के कई वरिष्ठ नेता इसमें शामिल हुए थे। बताया जाता है कि अधिवेशन के दौरान गांधी जी ने आजादी के लिए जैसे ही सभी लोगों से आह्वान किया, पूरा समारोह स्थल आजादी के नारों से गूंज उठा था।

रामगढ़ लाई गई महात्मा गांधी की अस्थियां

रांची से पहुंचे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेसी नेताओं से मतभेद के बाद रामगढ़ में समानांतर अधिवेशन का आयोजन किया था। उन्होंने नगर में शोभा यात्रा भी निकाली थी। अधिवेशन के करीब सात साल बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनकी अस्थियां देश भर के कई स्थानों के साथ-साथ रामगढ़ भी पहुंची थी।

आज भी रामगढ़ में है बापू का समाधि स्थल

रामगढ़ से जुड़ाव होने के कारण 1948 में बापू की अस्थियों को रखकर दामोदर तट पर समाधि स्थल बनाया गया। आज यह समाधि स्थल गांधी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। आज भी इसकी रमणिकता देखते बनती है। प्रत्येक वर्ष दो अक्टूबर व 30 जनवरी को यहां कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें अधिकारी सहित जिले के लोग शामिल होते हैं।