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Monsoon Disease: झारखंड में मलेरिया के बढ़ते मामले बढ़ा रहे हैं टेंशन, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट; कैसे करें पहचान

Malaria cases in Jharkhand झारखंड में गर्मी का कहर लगातार जारी है। बढ़ती गर्मी के साथ मच्छरों का आतंक भी शुरू हो गया है। रांची में गंदगी और खुली नालियों में मच्छर पनप रहे हैं। अब ऐसे में राजधानी के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। तेज बुखार सिर दर्द उल्टी की समस्या लेकर मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।

By Anuj tiwari Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sat, 27 Apr 2024 12:01 PM (IST)
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झारखंड में मलेरिया के बढ़ते मामले बढ़ा रहे हैं टेंशन, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट; कैसे करें पहचान (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, रांची। गर्मी बढ़ने के साथ ही मच्छरों का आतंक शुरू हो गया है। राजधानी के कई क्षेत्रों में पसरी गंदगी व खुली नालियों में मच्छर पनप रहे हैं। अस्पतालों में तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी जैसी समस्या लेकर मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्हें डॉक्टर अन्य जांच के साथ मलेरिया जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। पिछले दो वर्षों में राज्य में मलेरिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

2022 की तुलना में पिछले वर्ष मलेरिया के मरीज 56 प्रतिशत बढ़े हैं। 2022 में 19 हजार मलेरिया के मरीज थे, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 34 हजार से अधिक पहुंच गई। इनमें सबसे अधिक मलेरिया के मरीजों की संख्या पाकुड़ और पश्चिमी व पूर्वी सिंहभूम की रही।

यहां मलेरिया मरीजों का आंकड़ा एक वर्ष में तीन हजार से अधिक रहा। दूसरी ओर, वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में 71 प्रतिशत अधिक बीमार मरीजों की मलेरिया जांच की गई, जिसमें 56 प्रतिशत अधिक मामलों की पुष्टि हुई। इस वर्ष जनवरी से मार्च तक राज्य में करीब पांच हजार मलेरिया के मरीजों की पहचान हुई है, जिनमें से कुछ का इलाज चल रहा है।

रांची जिले में घटे मरीज

रांची में मलेरिया मरीजों की संख्या में कमी आई है। 2022 में मलेरिया मरीजों की संख्या 200 थी, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 196 ही था। इस वर्ष जनवरी से मार्च तक के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 28 मरीज ही मिलें, जिनमें से सभी का इलाज हुआ और वे स्वस्थ हैं।

10 जिलों में मलेरिया का प्रकोप कम रहा 

पिछले दो वर्षों में जहां कुल मलेरिया मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, राज्य के 10 जिलों में मलेरिया का प्रकोप कम हुआ है। इनमें बोकारो, चतरा, गढ़वा, गिरिडीह, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा व रामगढ़ जिले शामिल हैं। इन जिलों में बेहतर प्लानिंग की वजह से मलेरिया के मच्छर को पनपने से रोका जा सका और इसे नियंत्रित किया जा सका।

जिले के ग्रामीण क्षेत्र में प्रकोप अधिक

रांची जिले में बुंडू, तमाड़, अनगड़ा एवं सिल्ली क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप अधिक है, लेकिन नियंत्रित है। रांची के ईटकी में नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च खोला जा चुका है। इसकी यूनिट रिम्स में कार्यरत है। रिम्स में हर माह लगभग तीन सौ मलेरिया पीड़ित लोग पहुंचते हैं।

बरसात के दिनों में यह संख्या बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए विभाग द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। विश्व मलेरिया दिवस पर इस संबंध में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता रहा है। मालूम हो कि यह बीमारी प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलती है।

मलेरिया के लक्षण

मलेरिया होने पर लोगों को ठंड लगती है, उसके बाद बुखार होता है और सिरदर्द, शरीर में दर्द और उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं। एक प्रकार का मलेरिया गंभीर लक्षणों का कारण बनता है, जैसे डेलिरियम, गंभीर सांस लेने की समस्या, किडनी फेल, दस्त। समय पर इलाज नहीं होने पर मरीज की मौत तक हो सकती है।

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