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Jharkhand BJP: मांडर उपचुनाव का साइड इफेक्ट... भाजपा नेता धर्मपाल सिंह की छुट्टी जल्द... अबतक चार चुनाव हार चुकी पार्टी

Jharkhand News झारखंड में पिछले पांच साल से भाजपा में संगठन का कामकाज देख रहे संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की विदाई का प्लाट तैयार हो चुका है। वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव और चार उपचुनाव हार चुकी है भाजपा। उनका बूथ प्रबंधन इसबार भी फेल हो गया है।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Mon, 27 Jun 2022 09:12 PM (IST)
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Jharkhand News: मांडर उपचुनाव का साइड इफेक्ट... भाजपा नेता धर्मपाल सिंह की छुट्टी जल्द... अबतक चार चुनाव हार चुकी पार्टी
रांची, राज्य ब्यूरो। रांची जिले के मांडर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार के साथ ही पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की विदाई का प्लाट भी लगभग तैयार हो गया है। धर्मपाल सिंह पिछले पांच सालों से झारखंड भाजपा के संगठन की बागडोर संभाल रहे हैं। लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो उनकी व्यूह रचना अब तक कुछ खास परिणाम नहीं दे सकी है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के साथ-साथ पिछले ढ़ाई सालों में लगातार चार उपचुनाव पार्टी हार चुकी है।

भाजपा संगठन महामंत्री का बूथ मैनेजमेंट फेल

धर्मपाल सिंह ने प्रदेश भाजपा के संगठन की कमान जून 2017 में संभाली थी। भाजपा में आम तौर पर संगठन के स्तर पर तीन सालों में फेरबदल होता है। इस लिहाज से देखें तो वे काफी लंबे समय तक भाजपा में रह चुके हैं। उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त किया ही जाना है। अब मांडर उपचुनाव उनकी विदाई का आधार बन सकता है। कुशल संगठनकर्ता धर्मपाल सिंह की अगुवाई में भाजपा ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और पिछला परिणाम दोहराने में सफल रही। हालांकि इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व को जाता है। इसके करीब छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में संगठन महामंत्री का बूथ मैनेजमेंट फेल हो गया।

भाजपा विधायकों की संख्या घटकर रह गई 25

भाजपा विधायकाें की संख्या घटकर 25 रह गई और वह सत्ता से बाहर हो गई। जनजातीय सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा। इसके बाद चार उपचुनाव में भी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। पार्टी की हार संगठन की हार होती है और संगठन की कमान संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के पास है। जाहिर है, उन्हें इस नाकामी का बोझ न चाहते हुए भी उठाना ही होगा। हालांकि संगठन महामंत्री के करीबी नेताओं का तर्क है कि भाजपा चुनाव भले ही हार रही हो लेकिन पार्टी के वोट प्रतिशत में इजाफा हो रहा है। लेकिन ये तर्क कुछ खास पच नहीं रहा है, क्योंकि जीत-हार पार्टी की साख से जुड़ा है और पार्टी को परिणाम चाहिए।

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