Jharkhand News: 'शिक्षकों को ओल्ड पेंशन के तहत ही रखा जाए...' ऊहापोह में टीचर, अधर में राज्य की पेंशन योजना
रांची विश्वविद्यालय (रांची विवि) सहित राज्य के अन्य विवि के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पेंशन योजना को लेकर ऊहापोह की स्थिति में हैं। पुरानी और नई पेंशन योजना को लेकर 004 के बाद सेवा में आने वाले लगभग 6 हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पसोपेश में पड़े हुए हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम का मामला गत छह महीने से वित्त और कार्मिक विभाग में झूल रहा है।
जासं, रांची। रांची विश्वविद्यालय (रांची विवि) सहित राज्य के अन्य विवि के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पेंशन योजना को लेकर ऊहापोह की स्थिति में हैं। एक ओर पुरानी पेंशन योजना है और दूसरी ओर नई पेंशन योजना। 2004 के बाद सेवा में आने वाले लगभग 6 हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पसोपेश में पड़े हुए हैं।
पेंशन स्कीम को लेकर ऊपापोह की स्थिति
पिछले दिनों शिक्षक संघ जुटान के प्रतिनिधियों ने जगदीश लोहरा के नेतृत्व में जनजातीय कल्याण एवं परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ से मुलाकात कर अपनी मांगों को रखा था। इसके बाद मुख्यमंत्री को भी सात मार्च को ज्ञापन सौंपा था।
सीएम को बताया कि विवि शिक्षकों एवं कर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम का मामला गत छह महीने से वित्त और कार्मिक विभाग में झूल रहा है। सरकार की पहल से राज्य के लगभग 10000 शिक्षकों, कर्मियों और उनके स्वजनों को सेवानिवृत्ति का लाभ मिल सकेगा।
संकल्प पत्र में इस बात का किया गया जिक्र
पिछले महीने 12 मार्च को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने एक संकल्प पत्र जारी किया। इसमें संस्कृत के स्नातक एवं इंटर के संस्कृत शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों के भविष्य निधि पेंशन सह उपादान के लाभ की बात थी।
यह भी उल्लेख किया गया था कि विवि एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों, पदाधिकारियों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्राप्त होगा। यह लाभ संबंद्ध कालेज के शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को भी अनुमान्य होगा।
जुटान के संयोजक डा. कंजीव लोचन ने कहा कि सरकार के इस पत्र में स्पष्ट नहीं है। एक ओर यह पत्र संस्कृत अध्यापकों को संबोधित है। राज्य में सौ के आसपास संस्कृत के अध्यापक होंगे जबकि संस्कृत महाविद्यालयों से इतर अन्य महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों में करीब छह हजार।
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