रांची : झुग्गी-झोपड़ियों में शिक्षा का प्रकाश फैला रही सेवा भारती
सेवा भारती राजधानी रांची में भी झुग्गी झोपडिय़ों में रहनेवाले बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहा है।
By Krishan KumarEdited By: Updated: Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)
रांची, जेएनएन । झारखंड समेत पूरे देश में काम कर रही संस्था सेवा भारती राजधानी रांची में भी झुग्गी झोपडिय़ों में रहनेवाले बच्चों को शिक्षित व संस्कारित करने का काम कर रहा है, संगठन महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रहा है। सेवा भारती के माध्यम से रांची की महिलाएं सशक्त हो रही हैं। स्वयं सहायता समूह से भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम हो रहा है। राजधानी रांची के विकास में इस संस्था की महत्वपूर्ण भूमिका दिख रही है।
इस संस्था की स्थापना वर्ष 1997 में गुरुशरण प्रसाद के प्रयास से की गई थी। एक बाल संस्कार केंद्र से प्रारंभ काम आज पूरे झारखंड में फैल चुका है। वर्तमान में रांची में इस संस्था की ओर से 102 बाल संस्कार केंद्र, 12 सिलाई, कढ़ाई एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, 4 स्वास्थ्य केंद्र, 5 सामाजिक संस्कार केंद्र, एक अस्पताल, एक गोशाला और एक दैनिक विद्यालय चल रहा है।इनमें से बाल संस्कार केंद्रों पर बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है, वहीं महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।स्वास्थ्य केंद्रों पर भी जांच के साथ-साथ नि:शुल्क दवाइयां दी जाती है। रांची में सेवा भारती की ओर से संचालित एक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रत्येक शनिवार को एमबीबीएस डॉक्टर बैठते हैं। यहां दूर-दूर से मरीज दिखाने आते हैं।
महिलाओं को रोजगार का प्रशिक्षण
सेवा भारती के ग्रामीण अंचलों व शहरी सेवा बस्तियों में महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई और स्वरोजगार का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है। रांची के अरगोड़ा के चापु टोली, पीपर टोली, डुगडुगिया बस्ती व चुटिया क्षेत्र की गोसाई टोली में लोग समाज से कटे रहते थे, उपेक्षित भाव में जीवन-यापन करते थे। कई युवतियां-महिलाएं रेजा, दाई का कार्य करती थी। अब यहां सेवा भारती की ओर से सिलाई-कटाई प्रशिक्षण केंद्र खोलकर महिलाओं-युवतियों को प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित किया गया। धीरे-धीरे प्रशिक्षण का कार्य बढ़ता गया।कई महिलाएं अपने घरों में सिलाई-कटाई का काम करने लगीं हैं। कई युवतियां-महिलाएं ने दुकानें खोल लीं हैं। महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई के अलावा मधुमक्खी पालन, मसाला-निर्माण, मोमबत्ती निर्माण, अचार, मशरूम, अगरबत्ती उत्पादन, भवन-निर्माण आदि का सघन उपयोगी प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जाता है। इन केंद्रों में सुसज्जित उपकरणों की व्यवस्था है जिसपर अनुभवी एवं कुशल प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। सामूहिक विवाह का सफल प्रयास
झारखंड के विभिन्न इलाकों में आदिम जनजाति पहाडिय़ा युवक-युवतियों के सामूहिक विवाह का आयोजन कर संस्था उनके सामाजिक उत्थान की दिशा में भी काम कर रही है। पाकुड़ जिले में पहाडिय़ा समाज के पाहन-पुजारी के सहयोग से नदी के किनारे सामूहिक विवाह कराने की परंपरा की शुरुआत की गई। अब ये युगल जोड़ी परंपरा के मुताबिक विवाह बंधन में बंधने लगे है। इस तरह का सामूहिक विवाह का काम रांची में कई बार किया गया।
झारखंड के विभिन्न इलाकों में आदिम जनजाति पहाडिय़ा युवक-युवतियों के सामूहिक विवाह का आयोजन कर संस्था उनके सामाजिक उत्थान की दिशा में भी काम कर रही है। पाकुड़ जिले में पहाडिय़ा समाज के पाहन-पुजारी के सहयोग से नदी के किनारे सामूहिक विवाह कराने की परंपरा की शुरुआत की गई। अब ये युगल जोड़ी परंपरा के मुताबिक विवाह बंधन में बंधने लगे है। इस तरह का सामूहिक विवाह का काम रांची में कई बार किया गया।
ओमप्रकाश केजरीवाल,
प्रदेश अध्यक्ष, सेवा भारती
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