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झारखंड सरकार की जल जीवन मिशन में नहीं दिलचस्‍पी... केंद्रीय मंत्री के बयान पर भड़के मिथिलेश ठाकुर, कहा- राज्‍य का किया अपमान

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को जमशेदपुर में दिए अपने एक बयान में कहा है कि झारखंड सरकार जल जीवन मिशन में दिलचस्पी नहीं लेती है। उनके इस आरोप को राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने गलत ठहराया है। उनका कहना है कि गलतबयानी कर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने झारखंड का अपमान किया है।

By Arijita Sen Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 03 May 2024 09:48 AM (IST)
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गजेन्द्र सिंह शेखावत और मिथिलेश ठाकुर की फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर गलत बयानी करने और राज्यवासियों का अपमान करने का आरोप लगाया है।

केंद्रीय मंत्री के बयान को मिथिलेश ठाकुर ने ठहराया गलत

उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत द्वारा मंगलवार को जमशेदपुर में दिए उस बयान का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि झारखंड सरकार जल जीवन मिशन में दिलचस्पी लेती तो खेतों को मिलता पानी। जानबूझकर जल जीवन मिशन के कार्यों को रोक रही है राज्य सरकार। यह आरोप पूर्णतः बेबुनियाद और निराधार है।

शेखावत को नहीं झारखंड की भौगोलिक स्थिति की जानकारी: ठाकुर

मंत्री ठाकुर ने कहा कि राज्य के भाजपा सांसदों को केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को बताना चाहिए कि डबल इंजन की सरकार में अप्रैल, 2019 तक झारखंड राज्य में मात्र 5 प्रतिशत घरों में नल के माध्यम से जलापूर्ति होती थी।

यह राज्य और पेयजल विभाग हमारी सरकार को किस स्थिति में मिली थी, यह किसी से छिपी नहीं है। केन्द्रीय मंत्री को झारखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति, दुगर्म पहाडी क्षेत्रों तथा दूर-दूर बसे टोलों की भी जानकारी नहीं है।

शेखावत पर ठाकुर का पलटवार 

साथ ही 2 वर्ष कोरोना काल की विभिषिका से बाधित हुआ। मंत्री शेखावत को यह ज्ञात होना चाहिए कि जल जीवन मिशन के तहत नल के माध्यम से ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है न कि सिंचाई हेतु खेतों को पानी उपलब्ध कराना।

फिर किन कारणों से केन्द्रीय मंत्री ने गलत वकतव्य दिया है, यह उनको बताना चाहिए। मंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन की योजनाओं में खर्च होने वाली राशि में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार का अनुपात 50:50 है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के एक माह गुजर जाने के बाद भी केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रांश की राशि अभी तक विमुक्त नहीं की गई है।

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