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दिल्ली से आया नया ऑर्डर, फूलने लगे हेमंत सरकार के हाथ-पांव; नीतीश कुमार के पास भी पहुंचा केंद्र का लेटर

अक्सर यह देखा गया है कि राज्य सरकार अपनी हिस्सेदारी देने में देरी करती है और इस बीच केंद्रांश की राशि किसी खाते में पड़ी रहती है अथवा किसी दूसरे मद में इस्तेमाल होती है। अब केंद्र और राज्य सरकार एनएसए एकाउंट में खाता खोलकर यह सुनिश्चित कर सकेगी कि दोनों ओर से भागीदारी नियमित हो ताकि योजनाओं की रफ्तार बनी रहे।

By Ashish Jha Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 22 Aug 2024 04:56 PM (IST)
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नीतीश कुमार, पीएम मोदी और हेमंत सोरेन। (फाइल फोटो)

आशीष झा, रांची। केंद्र सरकार के नए फरमान से राज्य सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को तब तक केंद्रांश नहीं मिलेगा जबतक राज्य सरकार अपने हिस्से की राशि जमा नहीं करा देते हैं। इस निर्देश से राज्य में योजनाओं की रफ्तार मंद पड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

अक्सर यह देखा गया है कि राज्य सरकार अपनी हिस्सेदारी देने में देरी करती है और इस बीच केंद्रांश की राशि किसी खाते में पड़ी रहती है अथवा किसी दूसरे मद में इस्तेमाल होती है। अब केंद्र और राज्य सरकार एनएसए एकाउंट में खाता खोलकर यह सुनिश्चित कर सकेगी कि दोनों ओर से भागीदारी नियमित हो, ताकि योजनाओं की रफ्तार बनी रहे।

इस परेशानी को दूर करने के लिए उठाया कदम

झारखंड में कई बार ऐसा देखने को मिला है कि केंद्रांश की राशि खाते में पड़ी रही और धरातल पर काम शुरू नहीं हो सका। इस परेशानी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। बिहार, छत्तीसगढ़ समेत तमाम राज्यों को इससे संबंधित पत्र दिए गए हैं।

नए फरमान ने राज्य के उन विभागों को मुश्किल में डाल दिया है जो केंद्रीय योजनाओं के खाते में राज्यांश जमा करने में विलंब कर रहे थे। केंद्रीय स्तर पर बनाई गई नई व्यवस्था में अब केंद्रांश मिलने के बाद राज्यांश मिलने में एक महीने अथवा 30 दिनों से अधिक की देरी हुई तो तो जुर्माना लगेगा।

केंद्र सरकार की ओर से यह नया फरमान एक अप्रैल से प्रभावी हो गया है। इसके अनुसार, राज्य सरकार द्वारा योजना के सिंगल नोडल एजेंसी खाते में राशि डालने में 30 दिन का विलंब होने पर 7 फीसदी की दर से बतौर जुर्माना ब्याज चुकाना होगा।

नई व्यवस्था से लाभ और हानि इस प्रकार है

  • केंद्र की राशि का अब राज्य सरकारें अन्य दूसरे कार्यों में खर्च नहीं कर पाएंगी।
  • अब केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी वाली योजनाएं लेटलतीफी का शिकार नहीं होंगी।
  • राज्य सरकार अपने हिस्से की राशि समय पर जमा करेगी, नहीं तो देना होगा जुर्माना।
  • अब पैसों की मोहताज नहीं होंगी दोनों की हिस्सेदारी वाली जनहित की योजनाएं।
  • नए नियम से यह भी पता चल जायेगा कि योजनाओं का लाभ किसके कारण नहीं मिला।

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