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MS Dhoni से 15 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में बड़ा अपडेट, कोर्ट ने पूर्व बिजनेस पार्टनर और उसकी पत्नी को दी राहत

MS Dhoni Fraud Case क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से धोखाधड़ी करने के आरोपित मिहिर दिवाकर और उनकी पत्नी को निचली अदालत से राहत मिली है। अदालत ने दोनों को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की है। पूर्व में अदालत में इस मामले में दोनों के खिलाफ समन जारी किया था। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि धोनी और मिहिर दिवाकर एक बिजनेस में पार्टनर थे।

By Manoj Singh Edited By: Prateek Jain Updated: Wed, 19 Jun 2024 07:52 PM (IST)
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महेंद्र सिंह धोनी से धोखाधड़ी के आरोपित मिहिर और उनकी पत्नी को निचली अदालत से राहत मिली है। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत से क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से धोखाधड़ी करने वाले उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर मिहिर दिवाकर को राहत मिली है। अदालत ने मिहिर दिवाकर और उनकी पत्नी सौम्या दास को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।

महेंद्र सिंह धोनी की ओर से सीमांत लोहानी ने अक्टूबर 2023 में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए सिविल कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। मामले में दोनों को पांच जुलाई को कोर्ट में उपस्थिति होने की तिथि निर्धारित है। पूर्व में अदालत ने दोनों को समन जारी किया था।

'आपराध‍िक केस दर्ज नहीं कराया जाना चाहिए था'

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रमोद कुमार शर्मा एवं शंकर कुमार ने अदालत को बताया कि मिहिर दिवाकर के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करना गलत है। धोनी और मिहिर दोनों व्यवसायिक पार्टनर थे।

अगर कोई विवाद हुआ था तो मामले में आपराधिक नहीं, बल्कि कमर्शियल केस किया जाना चाहिए था। इसके बाद अदालत ने दोनों को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान कर दी। मिहिर दिवाकर की ओर से तीन जून को याचिका दाखिल की गई थी।

सीमांत लोहानी ने दर्ज कराया है शिकायतवाद 

बता दें कि दोनों पर फर्जीवाड़ा करके धोनी को 15 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। यह शिकायतवाद धोनी की ओर से सीमांत लोहानी ने दर्ज कराया है। शिकायतवाद पर पहली बार पांच जनवरी को अदालत में सुनवाई हुई थी।

सुनवाई के दौरान मामले में धोनी के प्रतिनिधि सीमांत लोहानी का बयान शपथपत्र पर दर्ज किया गया। जिसमें उन्होंने मिहिर दिवाकर एवं सौम्या दास के ऊपर लगाए आरोपों के बारे में बयान दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत किया गया था। जिसके आधार पर अदालत ने संज्ञान लिया था।

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