अधर में लटक सकता है कोलकाता-रांची-वाराणसी एक्सप्रेस-वे का काम, 1150 एकड़ वन भूमि के क्लीयरेंस में फंसा पेंच
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई की महत्वाकांक्षी कोलकाता-रांची-वाराणसी एक्सप्रेस वे का काम अधर में लटक सकता है। इसकी वजह इस परियोजना की राह में आने वाली लगभग 1150 एकड़ वन भूमि है। इसके लिए प्राधिकरण ने राज्य सरकार से पहले का अनुरोध किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने इसे लेकर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है।
By Pradeep singhEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 26 Jun 2023 12:26 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची: राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई की महत्वाकांक्षी कोलकाता-रांची-वाराणसी एक्सप्रेस वे का काम अधर में लटक सकता है। इसकी वजह इस परियोजना की राह में आने वाली लगभग 1150 एकड़ वन भूमि है। इसके लिए प्राधिकरण ने राज्य सरकार से पहले अनुरोध किया है।
एनएचएआई प्राधिकरण के चेयरमैन ने राज्य के मुख्यसचिव को लिखा पत्र
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने इसे लेकर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि राज्य सरकार वन भूमि क्लीयरेंस के लिए पहल करे। परियोजना के दायरे में आने वाली वन भूमि के मुआवजे के रूप में क्षतिपूर्ति करनी होगी।
क्यों अटका है राष्ट्रीय राजमार्ग का मामला
झारखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण वन लगाने के लिए जमीन उपलब्ध कराए। ऐसा करने के बाद ही वन भूमि का क्लीयरेंस मिल सकेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का कहना है कि उसके पास जमीन उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस परियोजना की निविदा का काम भी अंतिम चरण में है। वन क्लीयरेंस लंबित रहने के कारण यह अधर में लटक सकता है।क्यों खास है यह राष्ट्रीय राजमार्ग
28 हजार 500 करोड़ की लागत से बनाए जाने इस नेशनल हाइवे की कुल लंबाई 593 किलोमीटर होगी। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण होने से सड़कों का जाल पूरे पूर्वी भारत को एक सूत्र में बांध देगा। झारखंड सीधे तौर पर बिहार, बंगाल, यूपी से जुड़ जाएगा, जहां पहले बनारस से कोलकता की दूरी 16 से 18 घंटे तय होती थी; वह घटकर अब 8 घंटे हो जाएगी।इस एनएच के बन जाने से बाबा विश्वनाथ से कालीघाट तक का सफर आठ घंटे में ही पूरा हो जाएगा। इससे व्यपार भी हाई स्पीड से एक्सप्रेस-वे पर आगे बढ़ेगा। यात्री भी कम समय में ज्यादा स्थानों तक पहुंच पाएंगे। समय व ऊर्जा दोनों की बचत होगी।
प्लानिंग के अनुसार, पूर्वी भारत के सभी धार्मिक स्थलों को इससे कनेक्ट करने की रणनीति तैयार की जा रही है। सबसे अच्छी बात यह सड़क बोकारो व धनबाद से भी गुजर रही है। इसका सबसे बड़ा लाभ यहां के स्थानीय लोगों को होगा। बोकारो व धनबाद में कोयले व लोहे के व्यवसाय को रफ्तार मिलेगी।
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