झारखंड के 16 जिलों में 113 नक्सली पुलिस के लिए साबित हो रहे सिरदर्द, इन पर करोड़ों का इनाम
Naxalites in Jharkhand इस समय झारखंड में 16 जिले ऐसे हैं जहां कुख्यात नक्सली सक्रिय हैं। 113 नक्सली ऐसे हैं जो पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। ये सभी बड़े नक्सली हैं जो पुलिस पर छुपकर वार करते हैं।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Sun, 09 Jan 2022 09:46 AM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में चंद बड़े नक्सली ही पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। छुपकर वार करते हैं और पुलिस को लगातार चुनौती देते हैं। राज्य पुलिस की सूची के अनुसार भी सिर्फ 113 नक्सली ही वांटेड हैं, जिनपर करोड़ों के इनाम हैं। अब झारखंड पुलिस भी इन मुट्ठी भर नक्सलियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने जा रही है, जिसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है। अब लक्ष्य निर्धारित कर इन नक्सलियों के खिलाफ जोरदार अभियान चलेगा।
इस तरह रणनीति से पुलिस चला रही अभियानझारखंड पुलिस चार जोन में बांटकर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाने जा रही है। इनमें एक जोन है सारंडा का जो सबसे बड़ा है। इसमें सरायकेला-खरसांवा, खूंटी, रांची व पश्चिमी सिंहभूम का सीमावर्ती क्षेत्र, पारसनाथ क्षेत्र, गुमला, लोहरदगा व लातेहार का क्षेत्र तथा बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र जिसमें गढ़वा, पलामू, लातेहार आदि की सीमा सटती है। इन क्षेत्रों में नक्सलियों का अलग-अलग गिरोह सक्रिय है।
झारखंड में इन संगठनों का इस समय उत्पात जारी
राज्य के 16 जिलों में पांच नक्सली संगठन लगातार झारखंड पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। इनमें भाकपा माओवादी, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी), झारखंड जन मुक्ति परिषद् (जेजेएमपी) व झारखंड प्रस्तुति कमेटी (जेपीसी) शामिल हैं। जेपीसी को छोड़, शेष चार संगठन के 113 हार्डकोर नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ राज्य सरकार ने एक लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का इनाम रखा है, जिनकी तलाश जारी है। नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण नीति का रास्ता भी नक्सलियों-उग्रवादियों के लिए छोड़ रखा है, ताकि राज्य से नक्सल समस्या का समाधान हो सके।
राज्य के 16 जिलों में पांच नक्सली संगठन लगातार झारखंड पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। इनमें भाकपा माओवादी, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी), झारखंड जन मुक्ति परिषद् (जेजेएमपी) व झारखंड प्रस्तुति कमेटी (जेपीसी) शामिल हैं। जेपीसी को छोड़, शेष चार संगठन के 113 हार्डकोर नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ राज्य सरकार ने एक लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का इनाम रखा है, जिनकी तलाश जारी है। नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण नीति का रास्ता भी नक्सलियों-उग्रवादियों के लिए छोड़ रखा है, ताकि राज्य से नक्सल समस्या का समाधान हो सके।
झारखंड के इन 16 जिलों में मचा रखा है आतंक
वर्तमान में झारखंड के जिन 16 जिलों में नक्सली सक्रिय हैं, उनमें रांची, खूंटी, बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं। वहीं आठ अति उग्रवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं। किस नक्सली संगठन का कहां-कहां है प्रभाव, कौन-कौन हैं इनके बड़े नेता
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।वर्तमान में झारखंड के जिन 16 जिलों में नक्सली सक्रिय हैं, उनमें रांची, खूंटी, बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं। वहीं आठ अति उग्रवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं। किस नक्सली संगठन का कहां-कहां है प्रभाव, कौन-कौन हैं इनके बड़े नेता
- सीपीआइ (माओवादी) : यह राज्य का सबसे बड़ा नक्सली संगठन है। इसका प्रभाव गढ़वा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, रांची, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग। गढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला लोहरदगा के क्षेत्र में 25 लाख का इनामी मिथिलेश व 15 लाख का इनामी रिजनल कमांडर रवींद्र गंझू का दस्ता सक्रिय है, जो बराबर पुलिस को चुनौती दे रहा है। ये बूढ़ा पहाड़ व इसके आसपास के इलाके हैं, जो नक्सलियों का कभी बड़ा गढ़ रहा है, जिसकी सीमा छत्तीसगढ़ से भी सटती है। इसी तरह रांची, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, गिरिडीह व बोकारो का क्षेत्र सारंडा व उससे संबद्ध कॉरिडोर से संबंधित है, जहां वर्तमान में एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी, अनल, मिसिर बेसरा जैसे नक्सलियों की शरण स्थली है। यहीं पर नक्सल गतिविधियों का प्लान तैयार होता है, जिसे छोटे कैडर अंजाम देते हैं। लेवी-रंगदारी वसूलना इनका मुख्य पेशा है। इसके लिए दहशत फैलाने के लिए गोलीबारी से लेकर आगजनी तक की घटना को अंजाम देते हैं।
- पीएलएफआइ : खूंटी, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम व सिमडेगा। सुप्रीमो दिनेश गोप है, जिसके साथी लगातार पुलिस के लिए चुनौती बने हैं। झारखंड पुलिस बहुत हद तक इस संगठन पर दबिश बनाने में कामयाब भी रही है।
- टीएसपीसी : चतरा, पलामू, लातेहार। ये उग्रवादी खनन क्षेत्रों में सक्रिय हैं और लेवी से करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। इससे संबंधित कई उग्रवादियों की संपत्ति पूर्व में जब्त की जा चुकी है।
- जेजेएमपी : पलामू, लातेहार, गुमला व लोहरदगा।
- जेपीसी : चतरा, लातेहार, रांची।